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एक बड़े घाटे के दौर से गुजर रहा है प्रिंट और वेब मीडिया

By टीम पर्दाफाश 
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नईं दिल्ली। प्रिंट और वेब मीडिया पर लगातार बढ़ते आर्थिक संकट का आलम यहां तक पहुंच चुका है कि प्रिंट और वेब मीडिया एक बड़े घाटे के दौर से गुजर रहा है। यदि सही शब्दों में कहा जाए तो ऐसा आर्थिक संकट उसने अपने अस्तित्व में आने के बाद शायद ही कभी पहले देखा हो कि उसे हर दिन यह सोचना पड़ता है कि आने वाले दिन का अखबार निकल भी पाएगा या नहीं निकल पाएगा।

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समाचार पत्रों से जुड़े लोगों का कहना है कि हर महीने उनके ऊपर एक ऐसा बड़ा कर्जा चढ़ता जा रहा है जिसे उतारने का तरीका उन्हें दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। वह अपनी बात कहां और किससे कहें यह उनकी भी समझ से बाहर है क्योंकि कोईं भी संबंधित व्यक्ति इस पर गौर नहीं कर रहा है इसलिए यह मामला सुलझने की जगह उलटा और ज्यादा उलझता ही जा रहा है।

केंद्र सरकार से बार-बार समाचार पत्रों से जुड़े संगठन गुहार लगा चुके हैं कि वह किसी तरह हमें डायलसिस पर जाने से बचाएं क्योंकि समाचार पत्र जगत जोकि उदृाोग न होकर अपने में एक मिशन है लेकिन सरकार उसे गौर करने को ही तैयार नहीं हो रही है।

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