रक्षाबंधन 2021: रक्षाबंधन का त्योहार (festival of rakshabandhan) पूरे देश में बहुत ही उत्साह के मनाया जाता है। इस पवित्र दिन बहनें भाई को रक्षा सूत्र के रूप में राखी बांधतीं है। भाई उनकी ताउम्र रक्षा करने का वचन देता है। श्रावणी पूर्णिमा की तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। इस साल भाई-बहन का त्यौहार रक्षाबंधन 22 अगस्त, रविवार (Raksha Bandhan 2021) के दिन मनाया जाएगा। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा से मुक्त रहेगा। इस बार रक्षाबंधन पर्व लोगों के लिए बड़ा खास रहेगा क्योंकि 474 साल बाद गजकेसरी योग बन रहा है। रक्षासूत्र बांधते हुए ये मंत्र पढ़ा जाता हैं।
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रक्षासूत्र का मंत्र है-‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।
हमारी रक्षा के साथ ही सभी की रक्षा हो
श्रावणी पूर्णिमा पर कहीं-कहीं पुरोहित ब्राह्मण व गुरु भी रक्षा-सूत्र बांधते हैं। सदियों सें ऐसी परंपरा (centuries of tradition) अब तक चलती आ रही है कि, राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) को भी बाँधी जाती है।रक्षाबंधन पर भाई के अलावा देवताओं को, वाहन, पालतू पशु, द्वार ( gods, vehicles, pets, gates) आदि कई जगहों पर राखी को बांधा जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि हमारी रक्षा के साथ ही सभी की रक्षा हो (protect everyone) ।
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रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, देवासुर संग्राम में जाते समय इंद्र को उनकी पत्नी शची ने रक्षासूत्र बांधा था। शची इन्द्र की पत्नी और पुलोमा की कन्या थीं। द्रौपदी इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुई थीं और ये स्वयं प्रकृति की अन्यतम कला से जन्मी थीं। जयंत शची के ही पुत्र थे। शची को ‘इन्द्राणी’ , ‘ऐन्द्री’, ‘महेन्द्री’, ‘पुलोमजा’, ‘पौलोमी’ आदि नामों से भी जाना जाता है।एक अन्य पौराणिक कथा में रक्षाबंधन के बारे में कहा गया है कि एक बार बलि के आग्रह पर भगवान विष्णु ने उनके साथ रहना स्वीकार कर लिया है। इसके बाद लक्ष्मी वेश बदलकर बलि के पास गईं और उनकी कलाई पर राखी बांधी जिसके बदले में बलि ने उनसे मनचाहा उपहार मांगने को कहा। लक्ष्मी ने उपहार के रूप में भगवान विष्णु को मांग लिया।
देवताओं को बांधी जाती है राखी
गणपति : गणपति जी प्रथम पूज्य देवता हैं। किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य करने के पूर्व उन्हीं की पूजा करते हैं। इसीलिए सबसे पहले उन्हें ही राखी बांधी जाती है। गणपतिजी की बहनें अशोक सुंदरी, मनसा देवी और ज्योति हैं।
शिवजी : श्रावण माह शिवजी का माह है और इसी माह की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्योहार मनाते हैं। प्रचलित मान्यता अनुसार कहते हैं कि भगवान शिव की बहन असावरी देवी थीं।
हनुमानजी: हनुमानजी शिवजी के रुद्रावतार हैं। जब देव सो जाते हैं तो शिवजी भी कुछ समय बाद सो जाते हैं और वे रुद्रावतार रुप में सृष्टि का संचालन करते हैं। इसीलिए श्रावण माह में हनुमानजी की विशेष रूप से पूजा होती है। सभी संकटों से बचने के लिए हनुमानजी को राखी बांधते हैं।