Rameshwaram Tourist Places : रामेश्वरम हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ और चार धामों में से एक है। यह भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। रामेश्वरम करामाती पबंन द्वीप का हिस्सा है। यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इस स्थल पर भगवान श्रीराम ने कुछ दिन व्यतीत किए। यहां भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व पत्थरों के सेतु का निर्माण करवाया था, जिस पर चढ़कर वानर सेना लंका पहुंची व वहां विजय पाई। रामेश्वर का अर्थ होता है भगवान राम और इस स्थान का नाम, भगवान राम के नाम पर ही रखा गया। यहां स्थित प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर, भगवान राम को समर्पित है। इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु यात्रा करने आते है और ईश्वर का आर्शीवाद लेते है।
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रामेश्वरम का भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है जो अन्य देशों के साथ व्यापार से भी जुड़ा हुआ है। जो लोग श्रीलंका से सीलोन की यात्रा पर जाते है उनके लिए रामेश्वरम एक स्टॉप गैप प्वाइंट है।16 वीं शताब्दी में, यह शहर विजयनगर के राजाओं के नियंत्रण में आ गया था और 1795 तक रामेश्वरम पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने आधिपत्य जमा लिया था। रामेश्वरम से दक्षिण में कन्याकुमारी नामक प्रसिद्ध तीर्थ है। रत्नाकर कहलाने वाली बंगाल की खाड़ी यहीं पर हिंद महासागर से मिलती है।
जाडा थीर्थम
रामेश्वरम में 64 टैंक या तीर्थम हैं, जिनमें से 22 रामनाथस्वामी मंदिर के अंदर हैं और बाकी अलग-अलग रूपों में बाहर हैं। धनुषकोडी के रास्ते में, रामनाथस्वामी मंदिर से लगभग 3.5 किमी दूर जादा तीर्थ है। यह वह स्थान है जहां भगवान राम और लक्ष्मण ने रावण को मारने के बाद अपने बाल धोये थे। यह खुद को शुद्ध करने के एक कार्य के रूप में किया गया था और यहां से भगवान शिव की पूजा करने के लिए आगे बढ़े। यह जलकुंड चारों ओर से पेड़ों से घिरा हुआ है और इस स्थान का उल्लेख रामायण में भी मिलता है। स्वाभाविक रूप से, इन जल को पवित्र माना जाता है और लोग डुबकी लगाने के लिए इस स्थान पर आते हैं।
धनुषकोडी
भारत के तमिलनाडु राज्य के पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक गांव/शहर है।। इसी स्थान को सेतुबंध कहते है।धनुषकोडी पंबन के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। धनुषकोडी श्रीलंका में तलाईमन्नार से करीब 18 मील पश्चिम में है।
कोई व्यक्ति धनुषकोडी या तो बालू के टीलों पर समुद्र तट के किनारे से पैदल, मछुआरों की जीप या टेंपो से पहुंच सकते है। भगवान राम से संबंधित यहां कई मंदिर हैं। यह सलाह दी जाती है कि गांव में समूहों में दिन के दौरान जाएं और सूर्यास्त से पहले रामेश्वरम लौट आएं क्योंकि पूरा 15 किमी का रास्ता सुनसान और रहस्यमय है। पर्यटन इस क्षेत्र में उभर रहा है।