सर्वपितृ अमावस्या 2021: सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार पूर्वजों को तर्पण और पिण्डदान करके उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। पितृ पक्ष के 16 दिन हमारे पूर्वजों को समर्पित होते हैं। अश्विन माह की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पितृपक्ष का अंतिम दिन भी होता है। इस साल सर्वपितृ अमावस्या 6 अक्टूबर को है।
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श्राद्ध अनुष्ठान और तर्पण किया जाता
शास्त्रों में बताया गया है कि श्राद्ध और तर्पण के जरिए ही हमारे पितरों को अन्न और जल प्राप्त होता है। सर्व पितृ अमावस्या पर, मृत व्यक्तियों के लिए श्राद्ध अनुष्ठान और तर्पण किया जाता है, जिनकी मृत्यु ‘पूर्णिमा’, ‘अमावस्या’ या ‘चतुर्दशी’ तिथि पर हुई थी। इस अमावस्या को श्राद्ध करने के पीछे मान्यता है कि इस दिन पितरों के नाम की धूप देने से मानसिक व शारीरिक तौर पर तो शांति प्राप्त होती ही है साथ ही घर में भी सुख-समृद्धि आती रहती है।
जरुरत मंद को भी अन्न का दान करना चाहिए
सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी पितृ, पशु-पक्षी के रूप में आपका भोजन स्वीकार करके आशीर्वाद प्रदान करते है। इस दिन विद्वान ब्राह्मण को आमंत्रित कर उसे भोजन कराना चाहिए और जरुरत मंद को भी अन्न का दान करना चाहिए।इस विशेष दिन, व्यक्ति सुबह जल्दी उठते हैं और सुबह के सभी अनुष्ठान करते हैं। लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और ब्राह्मणों को भोजन देने और दान करने के लिए आमंत्रित करते हैं।
किया जाता है दिन दीप दान
मान्यता है कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितर अपने पितृ लोक लौट जाते हैं. इसलिए अमावस्या के दिन दीप दान किया जाता है, ताकि उन्हें सही से रास्ता दिखाई दे। दीप दान के लिए सूर्यास्त के बाद घर की दक्षिण दिशा में तिल के तेल के 16 दीपक जलाएं। इस तरह पितरों को सम्मानपूर्वक भेजने पर वे संतुष्ट होकर जाते हैं और अपने बच्चों को आशीर्वाद देते हैं। जिससे परिवार में सुख समृद्धि और खुशियां आती हैं