नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शुक्रवार को संस्कृत को राष्ट्रभाषा (National Language of Sanskrit) घोषित करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह एक नीतिगत फैसला है, जिसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत (Constitution Needed To Be Amended) है। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से संस्कृत में एक लाइन सुनाने के लिए भी कहा। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की बेंच ने याचिकाकर्ता गुजरात के रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट डीजी वंजारा (Retired Bureaucrat DG Vanzara) से पूछा कि क्या आप खुद संस्कृत में एक लाइन भी बोल सकते हैं?
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट डीजी वंजारा (Retired Bureaucrat DG Vanzara) की तरफ से याचिका दायर की गई थी। उन्होंने संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित किए जान के जरिए भाषा के प्रचार की बात की थी। इस पर जस्टिस एमआर शाह (Justice MR Shah) और जस्टिस कृष्ण मुरारी (Justice Krishna Murari) की बेंच ने कहा कि यह नीति निर्णय के दायरे में आता है। इसके लिए भी संविधान में संशोधन की जरूरत होगी। किसी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करने के लिए संसद को रिट जारी नहीं किया जा सकता।’
बेंच ने सवाल किया कि भारत में कितने शहरों में संस्कृत बोली जाती है?’ इधर, वंजारा का कहना है कि वह केंद्र की तरफ से इस पर चर्चा चाहते हैं और अदालत की तरफ से एक दखल सरकार के स्तर पर चर्चा शुरू करने में मददगार होगा। बेंच ने पूछा, ‘क्या आप संस्कृत बोलते हैं? क्या आप संस्कृत में एक लाइन बोल सकते हैं या आपकी रिट याचिका की प्रार्थना का संस्कृत में अनुवाद कर सकते हैं।’ इस पर रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट ने एक श्लोक सुना दिया और बेंच की तरफ से जवाब मिला ‘यह हम सभी को पता है।’
सुनवाई के दौरान वंजारा ने ब्रिटिश राज के दौरान कलकत्ता के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व न्यायाधीश के बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी तरफ से पढ़ी गई 22 भाषाओं में एक बात साफ है कि संस्कृत मातृभाषा है। वहीं, कोर्ट ने कहा कि हम भी यह बात मानते हैं। हम जानते हैं कि हिंदी और राज्यों की कई भाषाओं के शब्द संस्कृत से आए हैं। लेकिन इसके आधार पर किसी भाषा को राष्ट्रभाषा नहीं घोषित किया जा सकता। हमारे लिए भाषा घोषित करना बहुत मुश्किल है।’
कोर्ट ने कही सरकार के सामने जाने की बात
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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अनुच्छेद 32 का हवाला दिया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पास इसे लेकर गुंजाइश हैं और केंद्र का मत जानकर चर्चा शुरू की जा सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा अगर याचिकाकर्ता इस तरह रिप्रेजेंटेशन पेश का विचार रखते हैं, तो उनके पास इसे लेकर सरकार के पास जाने की आजादी हो सकती है।