Shani dev ki puja: शनिदेव का नाम सुनते ही अचानक कुछ आपदा- विपदा का ख्याल मन को आशंकित करने लगता है। ऐसी अनेक भ्रान्ती न्याय के देवता के प्रति प्रचारित हुई । लोगों के मन में शनि की क्रूरता की ही तस्वीर बनती है। एक दूसरा पक्ष यह भी है कि भगवान शनिदेव का प्रताप ऐसा है कि वे राजा को रंक और रंक को राजा बना देते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार सप्ताह का दिन शनिवार भगवान शनि देव को समर्पित है। शनि आधुनिक युग के न्यायाधीश हैं और न्याय हमेशा अप्रिय होता है इसलिए लोग इन्हें क्रूर समझते हैं।
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शनि को सन्तुलन और न्याय का ग्रह माना गया है। जो लोग अनुचित बातों के द्वारा अपनी चलाने की कोशिश करते हैं, जो बात समाज के हित में नही होती है और उसको मान्यता देने की कोशिश करते है, अहम के कारण अपनी ही बात को सबसे आगे रखते हैं, अनुचित विषमता, अथवा अस्वभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि उनको ही पीडित करता है।
धर्मग्रंथों के अनुसार सूर्य की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ, जब शनि देव छाया के गर्भ में थे तब छाया भगवान शंकर की भक्ति में इतनी ध्यान मग्न थी की उसने अपने खाने पीने तक सुध नहीं थी जिसका प्रभाव उसके पुत्र पर पड़ा और उसका वर्ण श्याम हो गया।
शनिदेव की पूजा करने से भक्तों को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
ॐ शं शनिश्चराय नम:
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शनिवार के दिन सुबह उठकर स्नान कर काले वस्त्र धारण करने चाहिए। फिर शनि मंदिर जाकर उन्हें पवित्र जल, तिल या सरसों का तेल, काला वस्त्र, अक्षत, फूल, नैवेद्य अर्पित करने चाहिए। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें।
इन कामों को भूल कर भी न करें, करने से शनि देव नाराज होते हैं
कमजोर व्यक्तियों को कभी नहीं सताना चाहिए।
स्त्रियों पर अत्याचार करने वालों को शनि कठोर दंड प्रदान करते हैं।
परिश्रम करने वालों का कभी अपमान नहीं करना चाहिए।
अपने अधिकारों का प्रयोग दूसरों का अहित करने के लिए नहीं करना चाहिए।