पर्दाफाश न्यूज़ ब्यूरो महराजगंज :: भारत–नेपाल सीमा से सटे इलाकों में जुगाड़ से भारतीय मतदाता बनने वालों पर अब एसआईआर (विशेष पुनरीक्षण अभियान) की सीधी चोट पड़नी शुरू हो गई है। प्रशासन मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरा है। लोग भी व्यस्तता के बीच अपने मताधिकार को सुरक्षित रखने हेतु प्राथमिकता के आधार पर इस प्रक्रिया से जुड़ रहे हैं।
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नागरिकता लेने वालों का नाम कटना तय, दोहरी नागरिकता वालों की बढ़ी मुश्किल
सीमा क्षेत्र के कुछ नेपाली नागरिक मतदाता सूची में अपना नाम बनाए रखने की कोशिश में जुटे हैं और इसके लिए अपने भारतीय रिश्तेदारों व परिचितों के यहां डेरा डाले हुए हैं।
तहसील क्षेत्र के लोग इस अभियान को अपने अस्तित्व से जोड़कर देख रहे हैं, इसलिए इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि कूटरचित तरीके से भारतीय मतदाता बने लोग अब निश्चित रूप से सूची से बाहर होंगे। इस संबंध में संबंधित कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए हैं। कार्रवाई की भनक लगते ही सीमा पार बैठे कई प्रवासी मतदाता भी अचानक सक्रिय हो गए हैं।
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2003 की निर्वाचक नामावली बनी सबसे बड़ा आधार
चुनाव आयोग द्वारा तय मानक के अनुसार—2003 की मतदाता सूची में खुद या माता-पिता का नाम दर्ज होना आवश्यक है। इसका अनुपालन न होने पर नाम हटना तय है। इसी नियम को आधार मानते हुए सरहदी क्षेत्रों में फर्जी नागरिकता का सहारा लेने वालों के नाम बड़ी संख्या में कटने की संभावना है।
“जिसकी रसोई भारत में नहीं, उसका नाम सूची में नहीं”
अभियान में लगे कर्मचारियों का कहना है: “सरहदी इलाकों में जिसकी स्थायी रसोई भारत में नहीं है, उसका नाम मतदाता सूची में नहीं रहेगा।”
एसआईआर अभियान के चलते नेपाल मूल की उन महिलाओं के नाम भी प्रभावित हो रहे हैं जिनका मायका नेपाल में है। कर्मचारियों का कहना है कि ऐसी महिलाओं के लिए आगे दूसरी प्रक्रिया के तहत नाम दर्ज करने का प्रावधान रहेगा।
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दशकों से सीमा पार बैठे मतदाता भी रडार पर
भारत के सरहदी इलाकों की मतदाता सूची में दर्ज कई नेपाली नागरिकों का दशकों से यहां कोई स्थायी ठौर-ठिकाना नहीं है। इनमें से कई को सिर्फ मतदान के दिन ही सीमा क्षेत्र में देखा जाता रहा है। ऐसे अधिकांश मतदाता इस समय बेलहिया, भैरहवा, बुटवल, पाल्पा, पोखरा और काठमांडू जैसे स्थानों में रहते हैं। पहले वे सीमा सील होने से पूर्व भारत में प्रवेश कर लेते थे, लेकिन अब एसआईआर अभियान के चलते इन प्रवासी मतदाताओं के नाम भी सूची से हटना लगभग तय माना जा रहा है।