लखनऊ। यूपी समेत पांच राज्यों में अगले महीने से शुरु होने जा रहे अगामी विधानसभा चुनाव 2022 के बीच कोरोना संक्रमण के बढ़ते ग्राफ के कारण चुनाव आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है। चुनाव आयोग के द्वारा 15 जनवरी तक रैलियों,जनसभाओं,नुक्कड़ों पर पाबंदी लगा दी गई है। जबसे ये पाबंदी लगाई गई है सभी पार्टियां डिजिटल कैंपेनिंग के जरिये वोटरों को साधने की जुगत में लग गई हैं। डिजिटल प्रचार करने के निर्देश मिलने के अभी दो दिन ही बीतें हैं कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने प्रशासन पर बड़ा आरोप लगाया है।
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कुछ नेताओं ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सपा के मजबूत गढ़ वाले इलाकों में प्रशासन इंटरनेट स्पीड (Internet Speed) और कनेक्टिविटी को कमजोर करा रहा है जिससे कैंपेन को प्रभावित किया जा सके। आगामी 2022 के विधानसभा के चुनाव को लेकर लोगों के बीच में सरगर्मिया तेज हो गयी थी। लेकिन कोरोना संक्रमण का बढ़ता ग्राफ सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक डिजिटल कैंपेन करने का आदेश जारी किया है।
लेकिन कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामलों को देखते हुए ऐसा लगता है कि पूरा कैंपेन ही डिजिटल हो सकता है। जिसको लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारिया तेज कर दी हैं। सपा भी डिजिटल कैंपेन की रणनीति तैयार की है और वॉट्सऐप को मुख्य हथियार बनाने का फैसला लिया है। बता दे कि समाजवादी पार्टी का कहना है कि उनका पूरा फोकस छोटे-छोटे वीडियोज पर होगा, जो आसानी से डाउनलोड (Downlode) हो सकें और लोगों का डेटा भी कम खर्च हो और डोर-टू-डोर कैंपेनिंग शुरू किया जाएगा।
बता दें कि अखिलेश यादव ने शनिवार को पार्टी के मीडिया पैनलिस्ट्स और कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग की। मीटिंग के दौरान अखिलेश यादव ने टीम से उनके सुझाव लिए। कैंपेन को कैसे सुचारु रूप से चलाया जाए इस पर पार्टी विचार कर रही है। बता दें कि समाजवादी पार्टी की डिजिटल विंग ने कई वॉट्सऐप ग्रुप्स तैयार किए हैं और उनके माध्यम से लाखों लोगों तक सामग्री पहुंचाई जा रही है। हर विधानसभा में सपा की ओर से 8 से 10 वॉट्सऐप ग्रुप(Whats app Group) तैयार किए गए हैं। इनमें से हर ग्रुप में 256 लोगों को जोड़ा गया है।