नई दिल्ली। बुलडोजर एक्शन (Bulldozer Action) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ कर दिया है कि अगर कोई व्यक्ति दोषी साबित हो जाए, तो भी इमारत नहीं ढहाई जाएगी।
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सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ कर दिया है कि अगर कोई व्यक्ति दोषी साबित हो जाए, तो भी इमारत नहीं ढहाई जाएगी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में ‘बुलडोजर न्याय’ (Bulldozer Justice) के खिलाफ याचिका दाखिल हुई थी, जिसमें कहा गया था कि ‘बदले’ की कार्रवाई के तहत घर बगैर ‘नोटिस’ के गिराए जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन और राजस्थान के राशिद खान की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच सुनवाई कर रही थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोर्ट ने कहा कि कोई आरोपी है, सिर्फ इसलिए एक घर को कैसे गिराया जा सकता है? अगर वह दोषी है, तो भी इसे नहीं गिराया जा सकता। कोर्ट इस मामले पर अगले सोमवार को आगे की सुनवाई करेगा।
उदयपुर के रहने वाले 60 वर्षीय खान की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि उनका घर जिला प्रशासन ने 17 अगस्त 2024 को ढहा दिया था। यह सब उदयपुर में उदयपुर में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बाद हुआ था, जिसमें कई वाहनों को आग लगा दी थी और निषेधाज्ञा लागू होने के बाद बाजार बंद करा दिए गए थे। ये घटना एक मुस्लिम छात्र के कथित तौर पर हिंदू सहपाठी को चाकू मारने के बाद हुई थी। इस घटना में सहपाठी की मौत हो गई थी। खान आरोपी छात्र के पिता हैं।
एमेनेस्टी इंटरनेशनल रिपोर्ट के अनुसार देश में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 128 संपत्तियों को बुलडोजर से ढहा दिया
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एमेनेस्टी इंटरनेशनल की फरवरी 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2022 से जून 2023 के बीच दिल्ली, असम, गुजरात, मध्यप्रदेश और यूपी में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 128 संपत्तियों को बुलडोजर से ढहा दिया गया। मध्यप्रदेश में एक आरोपी के पिता की संपत्ति पर बुलडोजर चलवा दिया गया, और मुरादाबाद तथा बरेली में भी बुलडोजर से संपत्तियां ढहाई गईं। हाल ही में, राजस्थान के उदयपुर जिले में राशिद खान का घर भी बुलडोजर से गिरा दिया गया, जिसमें उनके 15 वर्षीय बेटे पर स्कूल में अपने सहपाठी को चाकू से गोदने का आरोप था।
जमीयत उलेमा ए हिंद ने दाखिल की याचिका
जमीयत उलेमा ए हिन्द ने याचिका दाखिल कर सरकारों द्वारा आरोपियों के घरों पर मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में यूपी, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हाल में हुई बुलडोजर कार्रवाइयों का उल्लेख करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में ‘बुलडोजर जस्टिस’ की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से शीघ्र सुनवाई की अपील की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपराध के आरोपी व्यक्तियों के घरों के संबंध में अधिकारियों द्वारा की गई बुलडोजर/विध्वंस कार्रवाई का विरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने टिप्पणी की कि अगर कोई आरोपी है तो विध्वंस कैसे हो सकता है और अगर वह दोषी है तो भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्पष्ट किया कि वह सार्वजनिक सड़कों को बाधित करने वाले किसी भी अवैध ढांचे को संरक्षण नहीं देगा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने संबंधित पक्षों से सुझाव देने को कहा ताकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अचल संपत्तियों के विध्वंस से संबंधित मुद्दे पर अखिल भारतीय आधार पर उचित दिशा-निर्देश जारी कर सके।