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सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला, यूपी में अब नहीं होगा लॉकडाउन

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। यूपी के पांच शहरों में अब लॉकडाउन नहीं लगेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। बीते सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के पांच शहरों में लॉकडाउन लगाने के फैसला आने के खिलाफ योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रूख किया था।

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देश के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में योगी सरकार को एक सप्ताह के भीतर महामारी को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों और उपायों को राज्य उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट अब दो हफ्ते बाद इस पर सुनवाई करेगा।

इससे पहले उत्‍तर प्रदेश के 5 शहरों में लॉकडाउन लगाने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को योगी आदित्‍यनाथ की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। उन्‍होंने इस मामले पर मंगलवार को ही सुनवाई करने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्‍वीकार कर लिया था।

सुनवाई के दौरान उत्‍तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि हाई कोर्ट के फैसले से सामान्‍य प्रशासनिक प्रक्रिया में दिक्‍कतें पेश आएंगी। वहीं, प्रदेश सरकार ने की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट को नीतिगत फैसलों में दखल नहीं देना चाहिए। हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन लगाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता को भी नोटिस जारी किया है। बता दें कि हाई कोर्ट ने वाराणसी और लखनऊ समेत राज्य के पांच शहरों में लॉकडाउन के आदेश दिए थे।

बता दें कि सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना के विस्फोट में स्वास्थ्य सुविधाओं की विफलता को देखते हुए प्रदेश के पांच सर्वाधिक प्रभावित शहरों प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और गोरखपुर में  26 अप्रैल तक लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।

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हाईकोर्ट ने कहा था कि, सभ्य समाज में अगर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं है और लोग उचित इलाज के अभाव में मर रहे हैं, तो इसका अर्थ है कि सामुचित विकास नहीं हुआ। स्वास्थ्य व शिक्षा अलग-थलग हो गए हैं। मौजूदा अराजक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना चाहिए।

हम लोकतांत्रिक देश में इसका अर्थ है कि देश में जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासित सरकार है। न्यूयमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा व न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया।

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