नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वैक्सीनेशन के बाद आवारा कुत्तों को वापस उनके इलाके में छोड़ने का आदेश दिया है। इसके साथ ही डॉग लवर्स (Dog Lovers) और एनजीओ (NGO) को 25 हजार और 2 लाख रुपये रजिस्ट्री के लिए जमा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने उन्हें सात दिन के अंदर यह रकम डिपॉजिट करने के लिए कहा है। कोर्ट का कहना है कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें आगे इस मामले में कोर्ट में पेश होने नहीं दिया जाएगा।
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बार एंड बेंच की रिपोर्ट (Bar and Bench report) के अनुसार विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिन एनवी अंजारिया की बेंच ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पुराने आदेश में बदलाव करते हुए कहा है कि गली-मोहल्लों में घूमने वाले आवारा कुत्तों को वैक्सीनेशन के बाद शेल्टर होम से छोड़ दिया जाए। कोर्ट ने यह आदेश उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है, जिनमें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 11 अगस्त के आदेश का विरोध किया गया था।
11 अगस्त को जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने और वैक्सीनेशन के बाद उन्हें वापस नहीं छोड़ने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कुत्तों के काटने से रेबीज और मौत के मामलों को देखते हुए यह आदेश दिया था, जिसका कई डॉग लवर्स (Dog Lovers) और एनजीओ (NGO) ने विरोध किया। यह मामला मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (Chief Justice Bhushan Ramakrishna Gavai) के सामने भी रखा गया और फिर 14 अगस्त को तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की और फैसला सुरक्षित रख लिया।
शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए बेंच ने कहा कि वैक्सीनेशन के बाद कुत्तों को वापस इनके इलाके में छोड़ दिया जाए, लेकिन जो कुत्ते आक्रामक व्यवहार के हैं या रेबीज से ग्रस्त हैं, उनको शेल्टर होम से बाहर नहीं छोड़ा जाएगा। कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि आवारा कुत्तों को कहीं भी खाना खिलाए जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, उसके लिए विशेष स्थान बनाए जाएंगे और सिर्फ वहीं पर खाना खिलाने की अनुमति होगी।
कोर्ट ने कहा कि जो भी डॉग लवर्स और एनजीओ इस मामले में दखल के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आए, उनको सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की रजिस्ट्री में कुछ अमाउंट जमा करना होगा। डॉग लवर्स को 25 हजार रुपये और एनजीओ (NGO) को दो लाख रुपये सात दिन के अंदर रजिस्ट्री में देने होंगे। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उनको आगे कभी भी इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश होने की अनुमति नहीं होगी।
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