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सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई ने मोदी सरकार पर की सख्त टिप्पणी, ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं लोग

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। कोरोना महामारी पर स्वत: संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के बतौर सीजेआई अपने आखिरी दिन जस्टिस एसए बोबडे ने मोदी सरकार पर सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं। इसके साथ ही मामले को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में कोरोना संकट पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की, जिसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस एसए बोबडे कर रहे हैं।  कोर्ट आज लॉकडाउन की घोषणा करने के लिए हाईकोर्ट की न्यायिक शक्ति से जुड़े पहलू की भी जांच करेगा।

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सुनवाई शुरू होते ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि देश में ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं। वहीं, कोविड-19 प्रबंधन पर राष्ट्रीय योजना से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के स्वतः संज्ञान मामले में न्यायमित्र नियुक्त किए गए हरीश साल्वे ने मामले से हटने का अनुरोध किया। हरीश साल्वे ने कोविड-19 मामले में न्याय मित्र नियुक्त किए जाने पर कुछ वकीलों द्वारा आलोचना किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि मैं नहीं चाहता कि मामले में फैसले के पीछे यह कहा जाए कि मैं प्रधान न्यायाधीश को जानता हूं। इसके बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने हरीश साल्वे को मामले से हटने की अनुमति दे दी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे आज यानी शुक्रवार को रिटायर हो रहे हैं। वह देश के ऐसे पहले मुख्य न्यायाधीश होंगे, जिनके कार्यकाल का अधिकतर हिस्सा कोविड लॉकडाउन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करने में चला गया। वह अपने 14 माह के कार्यकाल में 90 दिन ही फिजिकल सुनवाई कर पाए।

इससे पहले देश के कोविड-19 की मौजूदा लहर से जूझने के बीच सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि वह ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं समेत अन्य मुद्दों पर नेशनल प्लान चाहता है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस आर भट की तीन सदस्यीय पीठ ने गंभीर स्थिति का स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि वह देश में कोविड-19 टीकाकरण के तौर-तरीके से जुड़े मुद्दे पर भी विचार करेगी।

पीठ ने कहा कि वह वैश्विक महामारी के बीच लॉकडाउन घोषित करने की हाईकोर्ट की शक्ति से जुड़े पहलू का भी आकलन करेगी। इसने कहा कि कम से कम छह हाईकोर्ट कोविड-19 संबंधित मुद्दों की सुनवाई कर रहे हैं जिससे अलग-अलग प्राथमिकताओं के आधार पर भ्रम पैदा हो सकता है और संसाधन भी अलग-अलग दिशा में लगेंगे।

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शीर्ष अदालत ने स्वतः संज्ञान की कार्यवाही में उसकी मदद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को न्याय मित्र नियुक्त किया है। पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी किया और कहा कि वह मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगी। पीठ ने सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि एक पीठ और एक अदालत के तौर पर हम कुछ मुद्दों का स्वतरू संज्ञान लेना चाहते हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि कम से कम छह हाईकोर्ट- दिल्ली, बंबई, सिक्किम, मध्य प्रदेश, कलकत्ता और इलाहाबाद- मौजूदा स्थिति से जुड़े मामलों को देख रहे हैं। इसने कहा कि हाईकोर्ट नेकनीयत और सबके हित में अपने क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि हो यह रहा है कि इससे कुछ प्रकार का भ्रम पैदा हो रहा है और संसाधन भी अलग-अलग दिशा में खर्च हो रहे हैं।

इसने कहा कि एक हाईकोर्ट सोचता है किसी समूह के लिए यह प्राथमिकता है, जबकि दूसरा सोचता है कि दूसरे के लिए प्राथमिकता है। हम चार मुद्दों के संबंध में जानना चाहते हैं कि ऑक्सीजन की आपूर्ति, आवश्यक दवाओं की आपूर्ति, टीकाकरण की प्रणाली और तरीके। हम लॉकडाउन लगाने का अधिकार राज्य के पास रखना चाहते हैं और इसे न्यायिक फैसला नहीं बनाया जाना चाहिए।

इसने कहा कि बस इन चार मुद्दों पर नोटिस जारी करना चाहते हैं। साथ ही कहा कि हम इन चार मुद्दों पर राष्ट्रीय योजना देखना चाहते हैं। शीर्ष अदालत ने जब कहा कि वह केंद्र को नोटिस जारी करेगी और मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगी तो मेहता ने पीठ से पूछा कि हाईकोर्ट में लंबित कोविड-19 संबंधित मुद्दों पर केंद्र सरकार वहां जवाब देगी या नहीं। शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र हाईकोर्ट में राष्ट्रीय योजना प्रस्तुत कर सकता है।

पीठ ने यह भी कहा कि वह हाईकोर्ट में लंबित कुछ मुद्दों को वापस ले सकती है और खुद उनसे निपटेगी। मेहता ने कहा कि वह हाईकोर्ट को बताएंगे कि शीर्ष अदालत ने मुद्दे पर स्वतरू संज्ञान लिया है। भारत में शुक्रवार को एक दिन में कोरोना संक्रमण के 3.30 लाख मामले दर्ज हुये हैं जो किसी भी देश में एक दिन में दर्ज मामलों में सर्वाधिक है।

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