Tel Ka Deepak : जीवन में दुखों और कष्टों के अंधेरे में मिटाने के लिए लोग भगवान की शरण में जाते है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनको पुष्प, सुगंध और दीपक अर्पित करते है। दीपक का प्रयोग अंधेरे को मिटाने के लिए किया जाता है। दीपक प्रकाश का स्रोत है। भगवान की प्रार्थना करने के लिए भक्त गण उनके स्थान को दीपक लौ से से प्रकाशित करते है। पूजा पाठ में भगवान के सामने दीपक दिखना पूजा पद्धति का अंश है। इसकी बहुत मान्यता है। दीपक जलने से मन में भी प्रकाश भरता है और भ्रांतियों को अंधेरा दूर होता है। देवी देवताओं के समक्ष घी और तेल दोनों तरह के दीपक जलाए जाते हैं। आइये जानते है घी और तेल के दीपक के अलग अलग क्या मायने है।
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1.भगवान के दाहिने हाथ यानी जो आपका बायां हाथ होगा की तरफ घी का दीपक जलाना चाहिए। तिल के तेल का दीपक भगवान के बाएं हाथ यानी आपके दाहिने हाथ की तरफ जलाना चाहिए।
2. जब भी घी का दीपक जलाएं उसमें सफेद खड़ी यानी फूल बत्ती लगानी चाहिए। जब तिल के तेल का दीपक जलाएं तो उसमें लाल और पड़ी बत्ती लगानी चाहिए।
3.घी के दीपक को देवी-देवता को समर्पित किया जाता है। जबकि तिल के तेल का दीपक मनुष्य अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए जलाता है।
4.इंसान अपनी आवश्यकता के अनुसार एक या दोनों दीपक जला सकते हैं। ऐसा करने से घर के वास्तु का अग्नि तत्व मजबूत होता है।