नई दिल्ली। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को ब्रिसबेन के निर्णायक टेस्ट मैच में 3 विकेट से हरा सीरीज में जीत दर्ज की। 32 साल बाद कंगारूओ को किसी टीम से ब्रिसबेन में खेले गए टेस्ट मैच में हराया हैं। लागातार दूसरी बार उन्हें अपनी ही धरती पर भारत से टेस्ट मैचों की सीरीज हार जानी पड़ी। इस सीरीज में भारत के लिए शानदार खेल दिखा कर कई खिलाड़ियों ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। वाशिंगटन सुंदर, शार्दुल ठाकुर और टी नटराजन जैसे खिलाड़ी इस सीरीज में भारत के लिए एक खोज रहे। पहले टेस्ट में मिली हार के बाद कई खिलाड़ियों को प्लेइंग इलेवन में जगह दी गई और कुछ को बाहर का रास्ता दिखाया गया।
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विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर खेलने गए ऋधिमान साहा के खराब प्रदर्शन के बाद ऋषभ पंत को मौका मिला। ऋषभ ने मौके का फायदा भी बखूबी उठाया। कई शानदार पारियां पंत ने इस सीरीज के दौरान खेली है। इन सबके बीच हम उस बल्लेबाज की चर्चा हम नहीं कर रहे है जिसने धीमा ही सही पर मौके पर रन बनाकर भारत को ब्रिसबेन टेस्ट में जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हम बात कर रहे है भारत के वो बल्लेबाज जिनकी तुलना राहुल द्रविड़ से की जाती है। भारत के लिए टेस्ट मैचों में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले चेतेश्वर पुजारा की। पुजारा ने 56 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली इस पारी के दौरान पुजारा को कई बार चोट लगी।
उन्हें चोट के कारण बल्लेबाजी के दौरान केवल चार अंगुलियों से काम लेना पड़ा। इस पर जब उनसे पूछा गया की आप कैसे चोटो के साथ पारी पर फोकस कर पा रहे थे। उन्होंने जवाब देते हुए कहा की मैं चोटो के बारे में सोच भी नहीं रहा था। मैने हर अगली गेंद पर फोकस करने के प्लान के साथ बैटिंग कर रहा था। जिससे मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई। आपको बता दें कि पुजारा भारत को जीत के करीब ले जाकर ही पवेलियन लौटें। इस सीरीज में पुजारा को धीमी बल्लेबरजी के लिए पोटिंग के आलोचना का सामना करना पड़ा था।