मुजफ्फरनगर। ‘स्वच्छता मिशन’ को लेकर देश में जोर-शोर से काम चल रहा है। उत्तर प्रदेश में भी इस योजना को धरातल पर लाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और नगर पालिका परिषद की वजह से यहां पर ये योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है। मेयर, पालिकाध्यक्ष, नगर आयुक्त और ईओ की मिलीभगत के कारण ही इस बड़ी योजना को पलीता लग रहा है। मुजफ्फरनगर में भी ये योजना सिर्फ फाइलों में ही दौड़ रही है। अधिकारियों और नगरपालिका परिषद के कुछ लोगों की मिलीभगत से इसमें धांधली हो रही है
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सूत्रों की माने तो जिन कंपनियों को ‘स्वच्छता मिशन’ की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है उनसे मोटी रकम वसूली जा रही है। रुपये नहीं देने पर इनके पेमेंट को रोक दिया जा रहा है। सूत्र ये भी बतातें हैं कि ऐसी कई कंपनियों के पेमेंट रोकने के साथ ही उन्हें ब्लैकलिस्ट भी कर दिया गया। लिहाजा, ‘स्वच्छता मिशन’ का असर यूपी के कई जिलों में नहीं देखने को मिल रहा है। मुजफ्फरनगर में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आ रहा है। यहां पर लेगेसी वेस्ट निस्तारण कार्य में भी धांधली की बात सामने आ चुकी है।
इसको लेकर नगरपालिका परिषद की अध्यक्ष मंजू अग्रवाल ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। उन्होंने ईओ की शिकायत करते हुए 986.24 लाख की आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप लगाया है। पालिकाध्यक्ष ने शासन से मार्गदर्शन करने और ईओ के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की मांग की है।
कमीशन के लिए कंपनियों के रोक दिए जाते हैं पेमेंट
बता दें कि, सरकार इस ‘स्वच्छता मिशन’ को लेकर लगातार दिशा दिर्नेश जारी करी है। लेकिन अधिकारी कमीशन और नगरपालिका के कुछ लोगों की मिली भगत से ये योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। सूत्रों की माने तो जो कंपनी इसके लिए काम कर रही हैं, उनका पेमेंट कमीशन के चक्कर में रोक दिया जाता है। सूत्रों की माने तो मुजफ्फरनगर में भी कमीशनखोरी के कारण स्वच्छता मिशन की योजना परवान नहीं चढ़ रही है। उत्तर प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं जहां पर स्वच्छता मिशन’ मेयर, पालिकाध्यक्ष, नगर आयुक्त और ईओ की कमीशनखोरी की भेंट चढ़ रहा है।