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Akhara Parishad President Election : दिलचस्प दौर में पहुंचा, 13 अखाड़ों को भेजा गया न्योता

By संतोष सिंह 
Updated Date

प्रयागराज। Akhara Parishad President Election   : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की मौत के बाद से ये पद खाली है।  बता दें कि बीते 19 अक्टूबर को हरिद्वार में 7 अखाड़ों ने रविंद्र पुरी (Ravindra Puri) को अध्यक्ष चुन लिया था। इनमें निर्मोही, निर्वाणी, दिगंबर, महानिर्वाणी, अटल, बड़ा उदासीन और निर्मल अखाड़ा शामिल है। उस वक्त रविंद्र पुरी (Ravindra Puri)  ने कहा था कि उन्हें बहुमत के आधार पर ही चुना गया है। उन्होंने कहा था कि उनकी कोशिश रहेगी कि सभी अखाड़ें साथ चलें।

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हालांकि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद के चुनाव (Akhara Parishad President Election ) से पहले 13 अखाड़े दो फाड़ हो गए हैं । इसके बाद  असंतुष्ट वैरागी परंपरा के संतों की अगुवाई में नई कार्यकारिणी का एलान कर दिया है। इसके बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष (Akhara Parishad President) पद पर सोमवार को होने वाला चुनाव दिलचस्प दौर में पहुंच गया है। बाघंबरी गद्दी मठ में होने वाली संतों की इस चुनावी बैठक में बहुमत का गणित जुटाने के लिए रविवार की देर रात तक बैठकें होती रहीं। वैरागी परंपरा के निर्मोही अनी अखाड़े के अलावा संन्यासी परंपरा के महानिर्वाणी और उदासीन परंपरा के निर्मल अखाड़े में सेंध लग सकती है।

रणनीतिकारों के दावे के मुताबिक सात अखाड़ों को मिलाकर बहुमत का आंकड़ा पार करने की तैयारी पूरी कर ली गई है। बाघंबरी गद्दी मठ (Baghambari Gaddi Monastery) में सोमवार को पूर्वान्ह 11 बजे से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष (Akhara Parishad President)  के चुनाव के लिए अखाड़ों की बैठक होगी। इसके लिए सभी 13 अखाड़ों को न्योता भेजा गया है।

इस बीच वैरागियों के साथ अलग हुए सात अखाड़ों की ओर से हरिद्वार में नई परिषद का गठन करने के बाद असहज हुई है। इस स्थिति को संभालने के लिए शीर्ष संतों ने एड़ी-चोटी एक कर दिया है। अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि (Akhara Parishad General Secretary Hari Giri) ने दावा किया कि सात अखाड़े उनके साथ हैं। उदासीन परंपरा का निर्मल अखाड़ा सोमवार की बैठक में शामिल होगा। इसके अलावा निर्मोही अनी अखाड़े ने भी समर्थन दे दिया है।

असंतुष्ट संत भी बैठक में ले सकते हैं हिस्सा

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निर्मोही अनी अखाड़े (Nirmohi Ani Akhara) के ही राजेंद्र दास दूसरे धड़े की नई अखाड़ा परिषद के महामंत्री बनाए गए हैं। दावा किया जा रहा है कि निर्मोही अखाड़े के अलावा संन्यासी परंपरा के महानिर्वाणी अखाड़े (Mahanirvani Akhara) के भी असंतुष्ट इस बैठक में शामिल हो सकते हैं। इस आधार पर बहुमत का आंकड़ा दिन भर जुटाया जाता रहा। चुनाव में हिस्सा लेने के लिए निरंजनी अखाड़े (Niranjani Akhara) के सचिव महंत रवींद्र पुरी (Secretary Mahant Ravindra Puri) भी प्रयागराज पहुंच गए । उन्होंने भी नया उदासीन अखाड़ा और निर्मल अखाड़े के नए धड़े को मिलाकर सात अखाड़ों के बहुमत का दावा किया। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद (Akhara Parishad ) की परंपरा और गरिमा के अनुरूप ही चुनाव होगा।

निरंजनी अखाड़े के रवींद्र पुरी दौड़ में सबसे आगे

बाघंबरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालत में मौत के बाद रिक्त हुए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद पर निरंजनी अखाड़े (Niranjani Akhara)  के ही संत को बैठाने की तैयारी है। कुछ संतों का कहना है कि महंत नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के ही सचिव थे और बीते हरिद्वार के कुंभ में दूसरी बार उन्हें अखाड़ा परिषद (Akhara Parishad ) का अध्यक्ष चुना गया था। अभी उनका कार्यकाल भी पूरा बचा हुआ था। इसलिए सहानुभूति के आधार पर यह पद निरंजनी के ही पास रहना चाहिए। हालांकि कि जूना समेत कई अखाड़ों ने इस पद के लिए दावेदारी की है, लेकिन निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं।

निर्मल अखाड़े को तोड़ने का दावा निराधार

निर्मल अखाड़े के सचिव महंत देवेंद्र शास्त्री ने रविवार को अपनी कार्यकारिणी की सूची जारी की। उन्होंने कहा कि निर्मल अखाड़े का फर्जी महंत खड़ा करके समर्थन जुटाना हास्यास्पद है। निर्मल अखाड़े को तोड़ने की बात निराधार है। रेशम सिंह कोई महंत है ही नहीं। अगर कोई रेशम सिंह है तो उनको अपनी कार्यकारिणी सार्वजनिक करनी चाहिए।

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अब दोबारा चुनाव कराने का मतलब नहीं : राजेंद्र दास

अलग धड़े के महामंत्री राजेंद्र दास ने कहा कि उनकी परिषद ही मान्य और वैधानिक है। अगर सोमवार को अलग चुनाव होता भी है, तो उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

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