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खैट पर्वत परियों का देश, रहस्य रहा अनसुलझा मगर मौजूद हैं कुछ ऊर्जा व शक्तियां: योगी विकास

By आराधना शर्मा 
Updated Date

उत्तराखंड: सरकार भी मानती है कि खैट पर्वत परियों का देश है, वहां परियां आती हैं। पीपल डाली गांव में प्रशासन ने लगा रखा है -परियों का पर्वत 30 कि. मी. का बोर्ड लगा रखा है। इस तरह इस कहानी के बारे में जब योगी विकास ने सुना तो उन्होंने टीम के साथ वहां जाकर पडताल करने का फैसला किया। इस पडताल में टीम के सदस्यों के साथ कई अजीबोगरीब घटनाएं घटीं, जिनका टीम के पास भी कोई जवाब नहीं था।

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रहस्यों व रोमांच का संगम परी पर्वत

टिहरी गढ़वाल जिले के थाथ गॉव से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर खैट नाम का एक पर्वत है जिसे रहस्यों का केन्द्र माना जाता है। गुंबदाकार का यह खैट पर्वत समुद्रतल से करीब 11000 फीट की ऊचाई पर यह पर्वत स्वर्ग से कम नहीं है। कहते हैं यहां लोगों को अचानक ही कई बार परियों के दर्शन हो जाते हैं। इसे परियों का देश व निवास माना जाता है और यहाँ परियों की पूजा होती है।

पर्वत के शिखर तक पहुंचना आसान काम नहीं है। संघन व घनघोर जंगल, जंगली जानवरों, सन्नाटे के मध्य लगभग 5 घण्टे का सफर होता है। इस पर्वत की चढाई बहुत ही चुनोतिपूर्ण व मुश्किल है। रास्तों की जानकारी चंद गिने-चुने लोगों के पास ही है। जहाँ कोई भी आसानी से रास्ता भटक सकता है।

मंदिरों के पास परियां के आने का है दावा

इस पर्वत की चोटी पर दो मंदिर हैं, एक देवी दुर्गा का और एक राक्षसों का है। सूरज ढलने के बाद ये ही वो जगह हैं जहां परियों के दिखाई देने का दावा किया जाता है। लोकल गांव के लोग भी वहां जाने से डरते हैं।

कुछ ऊर्जा व शक्तियां

सुबह होने को थी मगर परियों के जैसा तो यहां कुछ दिखाई नहीं दिया। यहां कुछ ऊर्जाएं व शक्तियां हैं जो उपकरणों में कैद नहीं कर सकते केवल महसूस कर सकते हैं। इनकी अनुभूति टैब हुई जब प्रातः ब्रह्म महूर्त में पर्वत के शिखर पर मैं योग व मेडिशन करना आरंभ किया। पर्वत शिखर पर ग्रेविटेशनल फोर्स के कम होने से चेतना आसानी से उर्ध्गामी होने लगती है जिससे आप जैसी धारणा करते हैं वेसे ही मानस पटल पर व चेतना में आने लगता है। वैसा ही हुआ जब ध्यान किया तो परी तो नहीं मिली मगर दिव्य अनुभूति हुई जिसको शब्दों में बता पाना मुश्किल है। वास्तव में यहाँ परीलोक, देवलोक जैसा ही सुकून मिला व अनुभव हुआ।

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खैट पर्वत पर कुछ शक्तियां व ऊर्जा तो है जो योग, ध्यान, आध्यत्मिक साधना के लिए अत्यंत अनुकूल हैं। इसके आसपास कोई अन्य बाधा नहीं है। भरपूर पेड़-पौधे, जंगल व आकाश को छूता हुआ ये पर्वत वास्तव में आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रवाह का केन्द्र है।

मनोविज्ञान की “जैसी कल्पना वैसी आकृति” वाले सिदान्त पर ही दिखाई दे सकती हैं अलग-अलग आकृतियां परियां, जानवर या भूतप्रेत: योगी योगी विकास ने अनुभव किया कि इस पर्वत पर मौजूद ऐसी किसी भी शक्ति को हम तस्वीरों के जरिए नहीं समझ सकते, उसको केवल महसूस कर सकते हैं, क्योंकि वहां के लोगों ने महसूस किया है और टीम के सदस्यों ने भी किया। आकृतियां आंखों का धोखा हो सकती है। जैसा हम सोचेंगे, वैसा ही चेहरा बन सकता है। इन तस्वीरों में इंसान दे सकता है, जानवर दिखाई दे सकता है, बादल को परछाई हो सकती है, कोई बादल भी हो सकता है, किसी पेड़ की परछाई दिखाई दे सकती है, जैसी कल्पना वैसी आकृति का सिदान्त सिद्ध होता है।

मान्यताओं को भी नहीं कर सकते अनदेखा

यहां पर पीने तक का पानी मौजूद नहीं है, पीने का भरपूर पानी निचे से खुद लेकर जाएं। यहां के लोकल लोग यहां न तो खुद आते हैं और अपने बच्चों को भेजने से डरते हैं। यहाँ नए वस्त्र पहनकर आना, चमकीले भड़कीले वस्त्र व आभूषण पहनकर जाना, शोर और तेज संगीत यहां इन बातों की मनाही है।

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