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Raksha Bandhan 2021: सुरो और असुरो के युद्ध में रक्षाबंधन की शक्ति, इस पर्व को देवता भी मनाते थे

By अनूप कुमार 
Updated Date

रक्षाबंधन 2021: रक्षाबंधन का त्योहार (festival of rakshabandhan) पूरे देश में बहुत ही उत्साह के मनाया जाता है। इस पवित्र दिन बहनें भाई को रक्षा सूत्र के रूप में राखी बांधतीं है। भाई उनकी ताउम्र रक्षा करने का वचन देता है। श्रावणी पूर्णिमा की तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। इस साल भाई-बहन का त्यौहार रक्षाबंधन 22 अगस्त, रविवार (Raksha Bandhan 2021) के दिन मनाया जाएगा। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा से मुक्त रहेगा। इस बार रक्षाबंधन पर्व लोगों के लिए बड़ा खास रहेगा क्योंकि 474 साल बाद गजकेसरी योग बन रहा है। रक्षासूत्र बांधते हुए ये मंत्र पढ़ा जाता हैं।

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रक्षासूत्र का मंत्र है-‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

सनातन धर्म में आदि काल से ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। सुरो और असुरो के बीच युद्ध में रक्षाबंधन की शक्ति की पौराणिक कथा सुनने को मिलती है। प्राचीन समय में अक्षत, साबुत चावल को एक कपड़े के लंबे से टुकड़े में बांधा जाता था,जिसे कलाई पर बांध दिया जाता था।इस धागे को खराब स्वास्थ्य और बुरी नजर से बचाने एवम् सामान्यतः सुरक्षा के लिए बांधा जाता था।इसे रक्षाई कहा जाता था।

द्रौपदी ने अपनी साड़ी से एक चीर फाड़कर कृष्ण की अंगुली पर बांधा

पौराणिक कथाओं के अनुसार,कुरुक्षेत्र युद्ध से ठीक पहले कुन्ती ने अपने पौत्र अभिमन्यु की कलाई पर रक्षाबंधन बांधा था। शची,इन्द्र की पत्नी ने असुर राजा महाबली से युद्ध करने के लिए जाने से पहले,अपने पति को राखी बांधी थी। जब भगवान कृष्ण और उनके मित्रों पर लगातार कामसा के द्वारा आक्रमण किया जा रहा था,तब यशोदा ( कृष्ण की मां )ने कृष्ण की सुरक्षा के लिए उनकी कलाई पर एक पवित्र धागा बांधा था।बाद में कृष्ण और शिशुपाल के बीच हुए युद्ध के समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी से एक चीर फाड़कर कृष्ण की अंगुली जिससे रक्त बह रहा था पर बांधा था।

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