लखनऊ। उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा इन दिनों चर्चाओं में बना हुआ है। स्वास्थ्य महकमे में जमकर नियमों की अनदेखी हो रही है, जिसके कारण कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। अब चक गंजरिया स्थित कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में निदेशक की चयन प्रक्रिया को लेकर खूब हंगामा हुआ है। दरअसल, निदेशक की तैनाती के लिए नियमों की अनदेखी की गई है और विवादित लोगों को इस कुर्सी पर बैठाने की पूरी तैयारी कर ली गई है।
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सूत्रों की माने तो निदेशक की रेस में सबसे आगे केजीएमयू के पूर्व कुलपति एमएलबी भट्ट सबसे आगे हैं, जबकि उनके खिलाफ जांच भी चल रही है। वहीं, दूसरा नाम डॉ. निशा सिंह का निदेशक के पद पर सबसे आगे चल रहा है। इस चयन प्रक्रिया में कई खामियां रखकर निदेशक का चयन किया जा रहा है, जिसके कारण ये चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में बना हुआ है। विज्ञापन में अभ्यर्थी की उम्र व चयन कमेटी को लेकर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक से शिकायत हुई है।
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देशभर से 32 डॉक्टरों ने किया आवेदन
कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में निदेशक की चयन प्रक्रिया के लिए देशभर से 32 डॉक्टरों ने आवेदन किया था। इसके लिए बीते 21 दिसंबर को साक्षात्कार का आयोजन भी किया गया था। हालांकि, इससे पहले इस चयन प्रक्रिया को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, इस चयन प्रक्रिया के विज्ञापन में अधिकतम उम्र सीमा तय नहीं की गई, जिसको लेकर विवाद चल रहा है। कहा जा रहा है कि, चेहते को निदेशक बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग में सभी नियमों को दरकिनार करके ये खेल किया जा रहा है।
विज्ञापन की भर्ती को लेकर की शिकायत
सामाजिक कार्यकर्ता व हाईकोर्ट में अधिवक्ता विनोद पांडेय ने भर्ती संबंधी पहली जुलाई 2024 के विज्ञापन की खामियों को लेकर शिकायत की है। जिसमें कहा गया है कि पीजीआई, लोहिया, केजीएमयू समेत दूसरे मेडिकल संस्थानों में निदेशक व कुलपति की आयु सीमा निर्धारित की जाती है। लेकिन कैंसर संस्थान के विज्ञापन में अधिकतम उम्र सीमा तय नहीं की गई। इसका जिक्र विज्ञापन में नहीं किया गया। यह संस्थान के बाय-लॉस के नियम का उल्लंघन है। सिर्फ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत आवेदन मांगे गए थे।
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शिकायत के बाद मुख्यमंत्री ने रद्द की थी भर्ती प्रक्रिया
कैंसर संस्थान में निदेशक के लिए इसके पहले लोकसभा चुनाव आचार संहिता के दौरान ही 17 मार्च को आनन-फानन में साक्षात्कार करा दिए गए थे, जिसमें नियमों की जमकर अनदेखी की गयी थी। इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची तो उन्होंने भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी थी। साथ ही नए सिरे से विज्ञापन निकालने के निर्देश दिए थे।
चयन कमेटी पर उठे सवाल
यही नहीं, आवेदन के लिए नया विज्ञापन तो जारी किया गया, लेकिन चयन कमेटी पुरानी ही है। सवाल यह है कि अगर आवेदन नया है तो चयन कमेटी क्यों नहीं बदली गई? खास बात यह है कि कमेटी के सभी सदस्य पुराने हैं। एक भी बदलाव नहीं किया गया।