नई दिल्ली। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के सबसे उत्तरी इलाके गिलगित बाल्टिस्तान (Gilgit Baltistan) के लोग पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है। यहां की जनता भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ मिलाए जाने की मांग कर रही है। महंगाई, बेरोजगारी से परेशान इस इलाके के लोग पाकिस्तान सरकार (Government of Pakistan) की भेदभावपूर्ण नीतिओं से तंग आ गए हैं और अब भारत (India) के साथ आने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
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Ppl in #GilgitBaltistan chant slogans for REUNIFICATION with #Ladakh & demand opening of #Kargil – #Skardu road. Ppl always resisted #Pakistani moves to make #POJK a province of #Pakistan, but #India has always accommodated Pakistan on #JammuAndKashmir ignoring public sentiments. pic.twitter.com/a5x66Qf1nx
— Prof. Sajjad Raja (@NEP_JKGBL) January 7, 2023
यहां के लोगों का कहना है कि दशकों तक पाकिस्तान की सरकारों ने उनके साथ भेदभाव किया और उनके क्षेत्र का शोषण किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर प्रदर्शन से जुड़े कई वीडियो सामने आ रहे हैं जिसमें देखा जा सकता है कि गिलगित-बाल्टिस्तान (जीबी) के लोग भारी संख्या में सड़कों पर निकलकर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि लद्दाख के कारगिल जिले में सकरदू कारगिल रोड को फिर से खोला जाए। उनकी मांग है कि लद्दाख में उनके जो बाल्टिस्तान के लोग रहते हैं, उन्हें उनके साथ मिलकर रहने दिया जाए।
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Gilgit Baltistan protests against their oppressors.pic.twitter.com/EpzieUPpzN
— مہروز (@DazzlinMehroz) January 9, 2023
पिछले कई दिनों से जारी इस विरोध प्रदर्शन में लोग मांग कर रहे हैं कि पाकिस्तानी सरकार ने जो उनकी जमीनों पर अवैध कब्जा किया है। उसे खत्म किया जाए, उनके क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को रोका जाए। उनकी एक मांग ये भी है कि महंगाई के कारण वो गेहूं सहित सभी जरूरी समानों की खरीद नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए सरकार उन्हें सब्सिडी दे।
As of Jan 6, protests continue to rage in Gilgit-Baltistan, a region administered by Pakistan in the disputed Kashmir region. Citizens protest a surge in electricity prices, tax hikes, land grabs, & wheat shortages for the 9TH consecutive day. Take a look:pic.twitter.com/sTODO987bH
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— Steve Hanke (@steve_hanke) January 6, 2023
पाकिस्तान की सेना ने क्षेत्र की जमीनों पर जबरदस्ती किया है कब्जा
पाकिस्तानी सेना गिलगित-बाल्टिस्तान के गरीब क्षेत्रों की भूमि और संसाधनों पर जबरदस्ती कब्जे का दावा करती रही है। जीबी में पाकिस्तानी सरकार और लोगों के बीच जमीन का मुद्दा दशकों से बना हुआ है, लेकिन 2015 से विवाद और बढ़ा है। स्थानीय लोग तर्क देते हैं कि क्योंकि ये इलाका पीओके में है, इसलिए जमीन उनकी है। वहीं, प्रशासन का कहना है कि जो जमीन किसी को दी नहीं गई है, वो पाकिस्तान सरकार की है।
इन प्रदर्शनों की शुरुआत साल 2022 के अंत में हुई और नए साल में भी ये प्रदर्शन जमीन हथियाने, भारी टैक्स वसूले जाने को लेकर पाकिस्तानी सरकार और सेना के खिलाफ जारी है।
प्रदर्शनों का चीन कनेक्शन
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पाकिस्तान गुपचुप तरीके से इस इलाके की ऊपरी हुंजा घाटी को जल्द ही चीन को पट्टे पर देने वाला है। इसके जरिए पाकिस्तान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China Pakistan Economic Corridor) परियोजना में चीनी निवेश को बढ़ाकर अपने चीनी कर्ज को कम करना चाहता है। यह इलाका खनिजों के मामले में बेहद धनी है और चीन वहां खनन परियोजना शुरू कर सकता है। इस बात से भी लोग बेहद गुस्से में हैं।
विपक्ष में बैठे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को भिखारी तक कह दिया है और कहा है कि वो हर जगह भीख ही मांग रहे हैं। गुरुवार को ही शहबाज शरीफ आर्थिक मदद मांगने के लिए संयुक्त अरब अमीरात गए थे, जहां उन्होंने अबू धाबी के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मुलाकात की।
इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान को दो अरब डॉलर का ऋण देने की गुजारिश की। उन्होंने बाढ़ राहत के नाम पर अतिरिक्त 1 अरब डॉलर देने की भी मांग की। हालांकि, यूएई ने पाकिस्तान को अतिरिक्त एक डॉलर देना स्वीकार नहीं किया। पाकिस्तान पर पहले से ही यूएई का बहुत कर्जा है, उस कर्ज के तुरंत रोलओवर पर भी बात नहीं बनी है। पाकिस्तान को जेनेवा सम्मेलन में देशों और संस्थाओं की तरफ से करीब दस अरब डॉलर की मदद मिली है। 1971 में, पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) के पाकिस्तान से अलग होने का उसे भारी नुकसान पहुंचा और वो अपनी जरूरतों के लिए कर्ज के बोझ तले दबता चला गया। पाकिस्तान ने अमेरिका से 1972 में 84 करोड़ डॉलर, 1973 में 75 करोड़ डॉलर और 1974 में करोड़ डॉलर का कर्ज लिया। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से अब तक 22 बार कर्ज लिया है।
गिलगित-बाल्टिस्तान भारत के लिए क्यों अहम?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल अक्टूबर में श्रीनगर में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को फिर से भारत में मिलाने को लेकर एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ‘जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में संपूर्ण विकास का लक्ष्य पीओके के हिस्से वाले गिलगित बाल्टिस्तान पहुंचने के बाद ही हासिल होगा। अभी तो हमने उत्तर की ही तरफ चलना शुरू किया है। हमारी ये यात्रा तब पूरी होगी जब हम 22 फरवरी 1994 को भारत के संसद में पारित प्रस्ताव को अमल में लाएंगे और गिलगित बाल्टिस्तान तक के इलाके को भारत में मिलाएंगे।