नई दिल्ली। भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अब अपने अंतिम चरण में है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों के साथ-साथ देश के लोगों की धड़कनें अब तेज होती जा रही हैं। इस बीच ISRO की टीमों में घबराहट भरी उत्तेजना के बीच, अध्यक्ष एस सोमनाथ (S Somnath) ने 23 अगस्त को सफल सॉफ्ट-लैंडिंग का विश्वास जताया है।
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लैंडिंग दिवस से पहले समय निकालते हुए एस सोमनाथ ने कहा, कि ‘यह आत्मविश्वास लॉन्च से पहले की सभी तैयारियों और चंद्रमा की यात्रा में एकीकृत मॉड्यूल और लैंडिंग मॉड्यूल द्वारा की गई बाधा-मुक्त प्रगति से उपजा है। उन्होंने कहा कि हम आश्वस्त हैं क्योंकि अब तक सब कुछ ठीक रहा है और इस मोड़ तक किसी भी आकस्मिकता का सामना नहीं करना पड़ा है।
ISRO चीफ एस सोमनाथ (ISRO Chief S Somnath) ने कहा कि हमने सभी तैयारियां कर ली हैं और इस चरण तक सभी प्रणालियों ने हमारी आवश्यकता के अनुरूप प्रदर्शन किया है। अब हम कई सिमुलेशन, सत्यापन और सिस्टम के दोहरे सत्यापन के साथ लैंडिंग की तैयारी कर रहे हैं। उपकरणों के स्वास्थ्य की जांच की जा रही है। अब दुनिया की नजर चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लैंडिंग पर है। क्योंकि रूस का मून मिशन लूना-25 चांद से टकराकर क्रैश हो गया है। साल 2019 और 2023 के बीच चार चंद्रमा लैंडिंग मिशनों में से तीन विफल हो गए हैं। चीन के चांग’ई 5 को छोड़कर, अन्य सभी – इजराइल का बेरेशीट, जापान का हकुतो-आर, भारत का चंद्रयान -2 (Chandrayaan-2) और अब रूस का लूना -25 इस समय अवधि में लैंडिंग प्रयास करने में विफल रहे हैं।
ISRO चीफ एस सोमनाथ (ISRO Chief S Somnath) ने यह भी पुष्टि की कि चंद्रयान -2 (Chandrayaan-2) के ऑर्बिटर के साथ लैंडिंग मॉड्यूल को जोड़ने का महत्वपूर्ण काम पूरा हो गया है। जो 2019 से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। उन्होंने कहा कि ‘लैंडर को चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से जोड़ने का परीक्षण और सत्यापन पूरा हो गया है’। इसरो ने बाद में विस्तार से बताया कि इससे लैंडर और चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के बीच दो-तरफा संचार स्थापित हो गया है।