नई दिल्ली: उत्तराखंड के श्रीनगर से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित मां धारी देवी की एक अनोखी मूर्ति है जो दिन में तीन बार रूप बदलती हैं. मां धारी माता की यह मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखाई देती है, तो दोपहर में युवती और शाम होते-होते एक बूढ़ी महिला की तरह नज़र आती है. मंदिर का यह नज़ारा हैरान कर देने वाला है.
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मां के इस मंदिर की बात करें, तो यह मंदिर झील के ठीक बीचों बीच है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां मौजूद मां धारी उत्तराखंड के चारधामों की रक्षा करती हैं. इसीलिए मां धारी को रक्षक देवी कहा जाता है. लोगों के मुताबिक, बाढ़ आने के चलते यह मंदिर उसमे बह गया और साथ ही साथ माता की मूर्ति भी उसमे बहते-बहते एक चट्टान पर जाकर रुक गई. उस मूर्ति में से एक आवाज सुनाई दी, जिसने गांव वालो को उसी जगह मूर्ति स्थापित करने को कहा. इसके बाद गांव वालो ने मिलकर वहां मता का मंदिर बनवाया.
इस मंदिर के पुजारी का कहना है कि मां धारी की मूर्ति द्वापर युग से ही यहां स्थापित है. कालीमठ, कालीस्य मठों में मां काली की प्रतिमा क्रोध मुद्रा में हैं, मगर मां धारी देवी मंदिर काली की प्रतिमा शांत रूप में स्थापित हैं. जिन्हे रक्षक देवी कहकर पुकारा जाता है. माना जाता है कि… मां धारा देवी की मूर्ति को 13 जून 2013 की शाम को हटाया गया था. जिसके कुछ घंटों बाद ही उत्तराखंड में भयानक बाढ़ आई थी, जिसमे हजारों लोग मारे गए थे. मां धारी देवी का गुस्सा लोगों ने तब देखा जब उनका मंदिर तुड़वा दिया गया और लोगों को भारी आपदा से गुज़ारना पड़ा.
इसी के चलते उसी जगह पर फिर से मंदिर का निर्माण कराया गया. इस मंदिर को लेकर लोगों को कहना तो ये भी था कि, यहां मां काली की कृपा से महाकवि कालिदास जी को ज्ञान प्राप्त हुआ था. क्यूंकि, शक्ति पीठों में कालीमठ का वर्णन पुराणों में मिलता है.