नई दिल्ली: प्रधान सहायक से प्रशासनिक अधिकारी,वरिष्ठ सहायक से प्रधान सहायक, कनिष्ठ सहायक से वरिष्ठ सहायक तथा चतुर्थ श्रेणी से कनिष्ठ सहायक पद पर पदोन्नत हुए 568 कर्मी एवं लिपिक संवर्ग के 984 कर्मचारियों के तबादले हुए। आपको बता दें, चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में भारी मात्रा में हुए तबादलों की वजह से भूचाल सा आ गया है अब तक के इतिहास में एक साथ इतने बाबुओं के तबादले कभी नहीं हुए।
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योगी सरकार में तबादला नीति का अनुपालन कराने में चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग अव्वल रहा है वर्षों से ज़िलों में जमे हुए कर्मचारियों को सरकार का यह निर्णय हज़म नहीं हो रहा है ।ज़िलों में CMO ऑफ़िस के बाबू कैसे अपनी दुकान चलाते हैं यह किसी से छिपा नहीं है इतने बड़े पैमाने पर फेरबदल और और मनचाही तैनाती से दूरी बाबुओं को नहीं भा रही है जिसके चलते इस तबादला सूची को राजनैतिक रंग दिया जा रहा है।
अपना अपना तबादला रद्द करवाने में असफल हो चुके सभी बाबू और उन्हीं में से कुछ धुरंधर भी अब छुटभैये नेताओं द्वारा की जा रही छोटी-छोटी प्रेस कांफ्रेंस का भी सहारा लिया जा रहा हैं और तबादला सूची की तमाम ख़ामियाँ गिना रहे हैं हालाँकि उन्हीं के बयानों में ही असल वजह बस मनचाही तैनाती ना मिल पाना परिलक्षित होती है ।
वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्री तबादला नीति का अक्षरशः पालन करवाने पर डटे हुए हैं उनका कहना है स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री की दृण इच्छाशक्ति के अनुरूप कार्य कर रहा है , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसे कड़े फ़ैसले लेने के शख़्त निर्देश दिए हैं जिससे स्वास्थ्य विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके इसी क्रम में प्रदेश के सभी बाबुओं के तबादले किए गए हैं बहरहाल जुगाड़ू कर्मी अभी शिफ़ारिश करवाने से बाज नहीं आ रहे हैं लेकिन सरकार 1552 तबादलों में से अपना एक भी निर्णय बदलने को तैय्यार नहीं है ।