नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत जिला मजिस्ट्रेट के तरफ जारी ‘पहचान प्रमाण पत्र’ (Identity Certificate) को पैन कार्ड (PAN Card) के लिए आवेदन करने के लिए वैध दस्तावेज माना जाएगा। जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि भारत संघ ने सैद्धांतिक रूप से इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। केंद्र सरकार (Central Government) इसे लेकर नियमों में भी स्पष्टता लाने पर विचार कर रही है।
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पीठ ने कहा कि याचिका के लंबित रहने के दौरान हमने भारत संघ से जवाब मांगा, जो इस मामले में बहुत सहायक रहा है और मोटे तौर पर उन्होंने वर्तमान याचिका में उठाई गई सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है। इसमें ये भी कहा गया है कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 6/7 के तहत जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया जाने वाला प्रमाण पत्र स्वीकार्य होगा।’ ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 6 और 7 पहचान प्रमाण पत्र और लिंग में परिवर्तन के मुद्दे से संबंधित हैं।
जानें क्या है मामला?
बता दें किएक ट्रांसजेंडर ने साल 2018 में याचिका दायर की थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि उसके पैन कार्ड (PAN Card) को आधार से जोड़ने का प्रयास विफल हो गया है क्योंकि पैन कार्ड (PAN Card) में आधार कार्ड (Aadhaar Card) के विपरीत कोई ‘तीसरा लिंग’ का विकल्प नहीं है। बिहार के सामाजिक कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से मांग की थी कि वह केंद्र को निर्देश दें कि वह पैन कार्ड पर तीसरे लिंग की अलग श्रेणी का विकल्प बनाएं, ताकि उनके जैसे ट्रांसजेंडर (Transgender) लोग इसे आधार से जोड़कर ‘सटीक पहचान प्रमाण पत्र’ प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि आधार प्रणाली में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद तीसरे लिंग की श्रेणी को शामिल किया गया और उन्होंने आधार में ट्रांसजेंडर (Transgender) के रूप में पंजीकरण कराया।