लखनऊ। केंद्रीय गृहराज्य मंत्री (Union Minister of State for Home) अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ (Ajay Kumar Mishra ‘Teni’) की 22 साल पुराने मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) सुनवाई को तैयार हो गया है। कोर्ट के मामले को संज्ञान में लिए जाने के बाद उनकी मुसीबत बढ़ सकती है, क्योंकि उनकी जमानत रद्द किए जाने की कोर्ट में मांग की गई है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ साल 2000 में लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में हुए प्रभात हत्याकांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री (Union Minister of State for Home) अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ (Ajay Kumar Mishra ‘Teni’) की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। अदालत 2 सितंबर को अजय मिश्रा को हत्या के मामले में मिली जमानत को निरस्त करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी।
इस याचिका को सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रेणु अग्रवाल की खंडपीठ के समक्ष दो सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया है। यह याचिका पीड़ित पक्ष ने दायर की है। मिश्रा के खिलाफ मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था और निचली अदालत ने उन्हें 2004 में आरोपों से बरी कर दिया था। राज्य सरकार ने मिश्रा को बरी किए जाने के खिलाफ 2004 में हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया था और मिश्रा को यह सुनिश्चित करने के लिए जमानती बांड देने को कहा गया था कि वह अपील पर सुनवाई के दौरान उपलब्ध रहेंगे।
जमानत रद्द करने की मांग
याचिका में कहा गया है कि मिश्रा की दोषमुक्ति के खिलाफ दाखिल राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई में उनकी ओर से सहयोग नहीं किया जा रहा है। लिहाजा उनके बांड को निरस्त किया जाए और अपील पर सुनवाई पूरी होने तक उन्हें हिरासत में रखा जाए। वहीं इस मामले में अजय मिश्रा (Ajay Mishra) की ओर से दाखिल स्थानांतरण प्रार्थना पत्र को मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने खारिज कर दिया है। मिश्रा ने अपने खिलाफ दाखिल इस अपील को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ (Lucknow Bench) से प्रधान पीठ इलाहाबाद स्थानान्तरित की जाने की मांग की थी।
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जानें क्या था मामला?
लखीमपुर खीरी में 2000 में एक युवक प्रभात गुप्ता की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अन्य अभियुक्तों के साथ-साथ अजय कुमार मिश्रा भी नामजद थे। लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) की सत्र अदालत (Sessions Court)ने मिश्रा व अन्य को पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में 2004 में बरी कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ 2004 में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।