नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) अपने सीधे सपाट अंदाज में बात कहने के लिए मशहूर हैं। यही उनका अंदाज ने संभवतः उन्हें बीजेपी की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था से वंचित किये जाने का प्रमुख कारण बना है। उन्होंने एक बार फिर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। गडकरी ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार समय पर फैसले नहीं ले रही है और यह एक समस्या है।
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हमारे पास बहुत क्षमता है, लेकिन हम 60 लाख करोड़ रुपये के ईंधन का करते हैं आयात
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आप चमत्कार कर सकते हैं और ऐसा करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि भारतीय बुनियादी संरचना का भविष्य उज्ज्वल है। हमें अच्छी तकनीक, अच्छे नवाचार, अच्छे शोध और सफल प्रथाओं को दुनिया और देश में स्वीकार करने की जरूरत है। गड़करी ने कहा कि हमारे पास वैकल्पिक मटेरियल होना चाहिए ताकि हम क्वालिटी से समझौता किए बिना लागत कम कर सकें। समय निर्माण में सबसे अहम चीज है। समय सबसे बड़ी पूंजी है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार समय पर फैसले नहीं ले रही है। नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे पास बहुत क्षमता है, लेकिन हम 60 लाख करोड़ रुपये के ईंधन का आयात करते हैं और यह समस्या की बात है। उन्होंने कहा कि हमें हमेशा यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि काम समय पर पूरे होने चाहिए।
NATCON 2022 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि तकनीकी या संसाधनों से अधिक महत्वपूर्ण समय है। गडकरी के इन शब्दों और पीएम नरेंद्र मोदी की कुछ दिनों पहले किए गए उस कमेंट में विभिन्नता देखने में आई है जिसमें पीएम ने “अमृत काल” या स्वर्ण युग के बड़े मील के पत्थरों को पार करने में सरकार की कामयाबी का जिक्र किया था।
उन्होंने कहा कि मैं जब महाराष्ट्र में मंत्री था तो मैंने कह दिया था कि जो 1 दिन पहले बनेगा तो एक लाख रुपये का इनाम मिलेगा। यदि देरी हुई तो फिर इसी हिसाब से फाइन देना होगा। माहिम में फ्लाईओवर बनाने के लिए समय 24 महीने का था, लेकिन ठेकेदार ने 21 महीने में ही तैयार कर दिया। इसकी वजह यह थी कि उसे बोनस मिलना था। बता दें कि नितिन गडकरी अकसर ऐसे बयान भी देते रहे हैं, जो भले ही विपक्ष को अनुकूल लगें, लेकिन उनकी पार्टी के नेतृत्व और सरकार को चुभने वाले होते हैं। पिछले दिनों ही उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि आज की राजनीति सत्तानीति हो गई है। इसका लोक कल्याण से कोई लेना-देना नहीं रह गया। कई बार तो लगता है कि राजनीति से संन्यास ही ले लिया जाए।
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हालांकि बीजेपी के नेताओं का कहना है कि गडकरी के यह शब्द किसी सरकार विशेष के लिए नहीं । बल्कि सामान्य तौर पर सरकारों के लिए कहे गए हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2024 के आम चुनाव सहित आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए पिछले सप्ताह बीजेपी संसदीय बोर्ड का नए सिरे से गठन किया गया है, इसमें गडकरी को स्थान नहीं दिया गया है। गडकरी का इस महत्वपूर्ण समिति से बाहर होना आश्चर्यजनक है। वे नरेंद्र मोदी कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री हैं, वे बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। आमतौर पर पार्टी, अपने पूर्व अध्यक्ष को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करती है। एक अन्य अहम बात यह है कि गडकरी, बीजेपी की वैचारिक संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)के करीबी हैं।
राजनीति, सामाजिक बदलाव के लिए है, लेकिन अब यह सत्ता में बने रहने का जरिया अधिक बन गई है
बता दें, कुछ समय पहले नागपुर में एक कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने कहा था कि उनका अकसर राजनीति छोड़ने का मन करता है क्योंकि उन्हें लगता है कि जिंदगी में करने के लिए बहुत कुछ है। समाजसेवी गिरीश गांधी को सम्मानित करने के लिए आयोजित समारोह में गडकरी ने कहा था कि कई बार मुझे लगता है कि मुझे राजनीति छोड़ देनी चाहिए। राजनीति के अलावा भी जिंदगी में करने के लिए बहुत कुछ है। केंद्रीय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्री गडकरी ने कहा कि उनका मानना है कि राजनीति, सामाजिक बदलाव के लिए है लेकिन अब यह सत्ता में बने रहने का जरिया अधिक बन गई है।