लखनऊ। UP School Reopen News : एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अतुल कुमार ने बताया कि अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने अगले चरण में कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों को भी खोलने का आश्वासन दिया था। इसी क्रम में गुरुवार को से पूर्व में हुई वार्ता के क्रम में आज पुनः मोबाइल पर हुई है, जिसमें उन्होंने अपने आश्वासन को पूरा करने का भरोसा दिया है।
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अतुल कुमार ने कहा कि अपर मुख्य सचिव (गृह) ने अपने आश्वासन के अनुरूप ही उत्तर प्रदेश के कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाओं के ऑफलाइन संचालन हेतु 7 फरवरी से स्कूलों को खोल दिया है, जिसके लिए एसोसिएशन उनके साथ ही सरकार के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती है। साथ ही यह उम्मीद भी करती है कि पूर्व में दिये गये अपने आश्वासन के अनुरूप अगले चरण में कक्षा 1 से कक्षा 8 तक की कक्षाओं के ऑफलाइन संचालन हेतु भी अति शीघ्र यथासंभव सोमवार, 14 फरवरी से सभी स्कूलों को खोलने का आदेश दे देगी। यही मांग एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री योगी एवं अपर मुख्य सचिव (गृह) को आज पुनः भेजे गये अपने पत्रों के माध्यम से भी की है।
अतुल कुमार ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा के कारण बच्चों पर लगातार निम्नलिखित दुष्प्रभाव पड़ रहे है, जो कि उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त ही खतरनाक है।
पहला बच्चे लगातार चिड़चिड़े होते जा रहे हैं। जिन बच्चों के माता-पिता दोनों सर्विस में हैं, वो अपने बच्चों को घर में बंद करके ऑफिस जा रहे हैं, जिसके कारण बच्चे लगातार डिप्रेशन में जा रहे है, जो कि उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए ही हानिकारक है।
ऑनलाइन शिक्षा उत्तर प्रदेश के गाॅव-गाॅव में चलने वाले स्कूलों के बच्चों के लिए बिलकुल ही उपयोगी नहीं हैं। इसका कारण यह है कि इण्टरनेट एवं बिजली की कमी के कारण वे ऑनलाइन शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा में बच्चे अक्सर मोबाइल को ऑन करके सो जाते हैं। इसके साथ ही यह भी सामने आया है कि बहुत सारे बच्चे इण्टरनेट का गलत इस्तेमाल करने लगे हैं, जिसका समाज पर बहुत ही गहरा और खराब असर पड़ने की भी पूरी संभावना है।
अतुल कुमार ने कहा कि अभी कुछ समय पूर्व अमर उजाला समाचार पत्र में ‘बच्चे हो रहे चिड़चिड़े, अब स्कूल खोलें’ शीर्षक से प्रकाशित एक समाचार के अनुसार लखनऊ प्री स्कूल एसोसिएशन ने भी कहा है कि प्री-प्राइमरी के 70 फीसदी से ज्यादा बच्चे ऑनलाइन शिक्षा में रूचि नहीं ले रहे हैं। उनकी उम्र इतनी छोटी है कि ये कुछ समझ ही नहीं पाते। वहीं, जिस तरह की व्यावहारिक पढ़ाई इनके लिए जरूरी है, वह ऑनलाइन संभव नहीं है।
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इस एसोसिएशन के अनुसार स्कूल से दूर रहने की वजह से बच्चे चिड़चिड़े और जिद्दी हो चुके हैं। व्यावहारिक ज्ञान जैसे, उठना, बैठना, लंच करना आदि नहीं सीख पा रहे हैं। ऑनलाइन कक्षाओं से बच्चों में संवाद व संबंध स्थापित नहीं हो पा रहा है। इससे उनमें मानसिक समेत व्यवहारिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
अतुल कुमार ने यह भी कहा कि कोरोना के कारण स्कूलों को तो बंद कर दिया गया किन्तु मार्केट, सब्जी मण्डी, बस, रेल, पार्क आदि को खुला रखा गया जहां कि कोविड प्रोटोकाॅल का बिलकुल ही पालन नहीं किया जा रहा है। जब कि बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास के साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर उनके भविष्य को आकार देने वाले उन स्कूलों को बंद कर दिया गया है, जो कि कोविड प्रोटोकाॅल का पूरी तरह से पालन कर रहें है। वास्तव में यह बच्चों के साथ अन्याय है।