वाराणसी। यूपी (UP) के वाराणसी जिले (Varanasi District) में ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) और मां श्रृंगार गौरी मंदिर केस (Maa Shringar Gauri Mandir Case) में रविवार को नया ट्वीस्ट आता दिख रहा है। विश्व वैदिक सनातन संघ ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) परिसर में स्थित मां शृंगार गौरी (Maa Shringar Gauri) के नियमित दर्शन-पूजन के लिए अदालत में दाखिल याचिका वापस लेने का ऐलान किया है।
पढ़ें :- Bashar Al-Assad Divorce: सीरिया की सत्ता छिनने के बाद पत्नी ने भी छोड़ा पूर्व राष्ट्रपति असद का साथ; रूस में तालाक के लिए डाली अर्जी
यह जानकारी सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन (Sanatan Sangh chief Jitendra Singh Bisen) ने रविवार को खुद दी है। जितेंद्र सिंह बिसेन (Jitendra Singh Bisen) के नेतृत्व में ही उनकी भतीजी राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने वाराणसी की जिला अदालत में याचिका दाखिल की थी। जितेंद्र सिंह बिसेन (Jitendra Singh Bisen) ने बताया कि राखी सिंह सोमवार को दिल्ली से वाराणसी पहुंचेंगी। इसके बाद वह मंदिर पक्ष की तरफ से अपना मुकदमा वापस लेंगी। हालांकि उन्होंने अचानक मुकदमा वापस लेने के पीछे का कारण नहीं बताया है।
बता दें कि दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू और अन्य की दैनिक पूजा और श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) में अनुष्ठान करने की अनुमति की मांग की थी। इनकी याचिका पर धार्मिक स्थल की वीडियोग्राफी और सर्वेक्षण करने के लिए उसी अदालत के पहले के आदेश पर यह प्रक्रिया शुरू की है। ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) की बाहरी दीवार पर भगवान गणेश, भगवान हनुमान और नंदी स्थित हैं। उन्होंने 18 अप्रैल, 2021 को अपनी याचिका के साथ अदालत का रुख किया था। विरोधियों को मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोकने की मांग की थी।
उनकी याचिका पर अदालत के तरफ से नियुक्त कोर्ट कमिश्नर (Court Commissioner) ने शुक्रवार को वाराणसी की एक अदालत के आदेश पर यहां ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर (Gyanvapi-Sringar Gauri Complex) में ज्ञानवापी मस्जिद के बाहर कुछ इलाकों की वीडियोग्राफी और सर्वेक्षण किया था। इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने अदालत द्वारा नियुक्त आयुक्त को बदलने की याचिका दाखिल की थी, जिस पर वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में शनिवार की सुबह सुनवाई हुई। अदालत ने अर्जी पर सुनवाई के बाद अगली सुनवाई नौ मई को करने तक फैसला सुरक्षित रख लिया था।