लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ (BBAU) के पर्यावरण माइक्रोबायोलॉजी विभाग (Department of Environmental Microbiology) के शिक्षक डॉ. हरीश चंद्रा मानव फेफड़ों के संक्रमण (special research on human lung infection) से जुड़ी विशेष शोध करने जा रहे हैं। इसके लिए अध्ययन अवकाश पर यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी, डिपार्टमेंट ऑफ मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स, बायोकैमिस्ट्री, और माइक्रोबायोलॉजी कॉलेज ऑफ मेडिसिन, ओहायो, यूएसए, जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने उनका अवकाश सहर्ष स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि मानव हित में होने वाले इस शोध कार्यों के लिए कुलपति अपनी शुभकामनाएं भी दी।
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डॉ. हरीश चंद्रा ने बताया कि वे मानव फेफड़ों के संक्रमण में माइक्रोबियल रोगजनन के क्षेत्र में शोध करने वाले हैं। उनकी शोध का लक्ष्य बायोफिल्म संक्रमणों में दवा प्रतिरोध के तंत्र और इन रोगजनकों के खिलाफ एक प्रभावी दवा विकसित करना है।
डॉ. चंद्रा वर्ष 2017 से बीबीएयू (BBAU) के पर्यावरण माइक्रोबायोलॉजी विभाग में अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही वे माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के टी-सेल एंटीजन (T-cell antigen) के विकास पर भी शोध कर रहे हैं। बीबीएयू में जुड़ने से पूर्व उन्हें सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी, ओहायो का लगभग 6 वर्षों का कार्य अनुभव है। अपनी पीएच.डी. और पोस्टडॉक्टरल के दौरान उन्होंने माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी पर शोध कार्य किया है। इसके अलावा वे छोटे बाह्य कोशिकीय पुटिकाओं (एक्सोसोम) में एमआई-आरएनए हस्ताक्षरों की खोज भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य हमारी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने वाले नॉवेल एमआई-आरएनए (Novel Mi-RNA) लक्ष्य जीन को खोजना है।