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बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन ने ली 105 लोगों की जान, 1500 ज्यादा घायल; अब PM शेख हसीना ने उठाया बड़ा कदम

By Abhimanyu 
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Bangladesh Violent Protests: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हिंसक विरोध-प्रदर्शन में अब तक 105 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 1,500 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। हालांकि, स्थानीय पुलिस ने घायलों की संख्या जारी नहीं की है। वहीं, मौजूदा हालातों को देखते हुए बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना (Bangladesh PM Sheikh Hasina) ने सेना तैनात करने का फैसला किया है।

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बांग्लादेश की सत्तारूढ़ अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर ने पूरे देश में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की। इससे पहले शेख हसीना के प्रेस सचिव नईमुल इस्लाम खान ने शुक्रवार (19 जुलाई 2024) को बीबीसी बांग्ला से कहा कि कर्फ्यू के बारे में आधिकारिक घोषणा जल्द की जाएगी। बांग्लादेश में शुक्रवार को न्यूज चैनल बंद रहे और दूरसंचार व्यापक रूप से बाधित रहा। हालांकि, मनोरंजन चैनलों का प्रसारण सामान्य रूप से जारी था। कुछ समाचार चैनलों पर संदेश चल रहा था कि वे तकनीकी कारणों से प्रसारण करने में सक्षम नहीं हैं।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, पुलिस ने कुछ इलाकों में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। राजधानी ढाका में छत से कई जगहों पर आग की लपटें और कई जगहों पर आसमान में धुआं उठते देखा गया। प्रदर्शनों के बीच टेलिकम्यूनिकेशन सर्विसेज भी बाधित हुआ है। बांग्लादेश के 64 जिलों में से 47 हिंसा की चपेट में बताए जा रहे हैं।

यूरोपीय संघ ने हिंसा से जानमाल के नुकसान पर जताई चिंता

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन के बाद सेवाओं के निलंबन और सुरक्षा बलों की कार्रवाई की आलोचना की है। यूरोपीय संघ ने कहा कि वह हिंसा और जानमाल के नुकसान से बहुत चिंतित है। संघ ने कहा, ‘यह बात अहम है कि आगे की हिंसा को रोका जाए और स्थिति का शांतिपूर्ण समाधान जल्द से जल्द खोजा जाए, जो कानून के शासन और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता पर आधारित हो।’

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दूसरी तरफ, भारत ने इसे बांग्लादेश का आंतरिक मामला बताया है। भारत की ओर से कहा गया है कि अशांति बांग्लादेश का आंतरिक मामला है, जहां तक बात है भारतीयों की तो बांग्लादेश में सभी 15,000 भारतीय सुरक्षित हैं। बांग्लादेश में पढ़ रहे भारतीय सड़क मार्ग से लौट रहे हैं।

बांग्लादेश में क्यों हो रहा विरोध प्रदर्शन? 

बांग्लादेश में मौजूदा आरक्षण प्रणाली (Reservation System) के तहत 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं, इनमें 30 फीसदी नौकरियां 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों, 10 फीसदी पिछड़े प्रशासनिक जिलों, 10 फीसदी महिलाओं, पांच फीसदी जातीय अल्पसंख्यक समूहों और एक फीसदी विकलांग लोगों के लिए आरक्षित हैं। हालांकि, स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को सरकारी नौकरियों में मिलने वाले 30 फीसदी आरक्षण का विरोध हो रहा है।

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