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Mahakumbh 2025: कुंभ में क्या होता है अखाड़े, जानें इसके प्रकार और कैसे और किसने की थी इसकी शुरुआत

By प्रिन्सी साहू 
Updated Date
What is Akhara in Maha Kumbh

जब कुंभ का जिक्र होता है तो आपने कहीं न कहीं और कभी न कभी अखाड़े का नाम सुना, देखा और पढ़ा जरुर होगा। महाकुंभ में अखाड़े बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। वे न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करते है बल्कि समाज सेवा के कार्यों में भी लगे रहते है। महाकुंभ के दौरान अखाड़े के साधु संगठित होकर स्नान करते है और धार्मिक अनुष्ठान करते है। पर क्या आप जानते है आखिर क्या होता है अखाड़े, किसने और कब की थी इसकी शुरुआत?

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What is Akhara in Maha Kumbh

आज इस लेख के माध्यम से हम आपके अखाड़े के बारे में बताने जा रहे है। महाकुंभ में साधुओं के जत्थे जरुर देखे होंगे। साधुओं के इन जत्थों को ही अखाड़े कहते है। दरअसल अखाड़ा साधुओं के संगठन को कहा जाता है।

What is Akhara in Maha Kumbh

ऐसे हुई अखाड़ों की शुरुआत

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हिंदू मान्यताओं के अनुसार आदि शंकराचार्य ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए कई संगठन बनाए थे। इन्हीं संगठनों को अखाड़े के नाम से जाना जाता है। अखाड़े का अर्थ होता है कुश्ती का मैदान। लेकिन धीरे धीरे इसका अर्थ साधुओं के संगठन के लिए होने लगा। भारत में अखाड़ों की संख्या 13 है, जिन्हें मुख्य रुप से तीन संप्रदायों में बांटा जा सकता है। शैव संप्रदाय, वैष्णव संप्रदाय, उदासीन संप्रदाय।

वैष्णव संप्रदाय अखाड़ा भगवान विष्णु को मानता है अपना आराध्य देव

शैव संप्रदाय अखाड़े भगवान शिव को अपना आराध्य देव मानते है। भारत में कुल सात अखाड़े शैव सप्रदाय से जुड़े हुए है। वैष्णव संप्रदाय अखाड़े भगवान विष्णु को अपना आराध्य देव मानते है। भारत में कुल तीन अखाड़े वैष्णव संप्रदाय से जुड़े हुए है। वहीं उदासीन संप्रदाय अखाड़ा किसी विशेष देवता की पूजा नहीं करते है, बल्कि सभी देवताओं को समान रुप से मानते है। भारत में कुल तीन अखाड़े उदासीन संप्रदाय से जुड़े हुए है।

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