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अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल के बीच सुलह कराने की कोशिश करेंगे ओमप्रकाश राजभर? सुभासपा प्रमुख ने घरेलू विवाद को लेकर जानें क्या कहा

By प्रिन्स राज 
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लखनऊ। यूपी विधानसभा के चुनाव में जीत कर आये समाजवादी पार्टी के विधायकों की मीटिंग 26 मार्च को लखनऊ स्थित कार्यालय पर रखी गई थी। सपा के विधायकों की मीटिंग में ना बुलाये जाने से नाराज चाचा शिवपाल यादव ने पार्टी के लिए बगवाती तेवर दिखाया है। शिवपाल यादव ने पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि मैं भी सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ के जसवंत नगर से विधायक चुना गया हूं। लेकिन मुझे सपा के विधायकों की मीटिंग में नहीं बुलाया गया। मुझे किसी भी प्रकार की मीटिंग की सूचना नहीं दी गई। सपा परिवार के बीच एक बार फिर परिवारिक मतभेद उजागर हुए हैं।

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समाजवादी पार्टी की तरफ से आये इस मामले की प्रतिक्रिया के बयान में कहा गया कि शिवपाल यादव गठबंधन के नेता थे और सहयोगी दलों के साथ मीटिंग 28 मार्च को रखी गई है।लेकिन आज होने वाले विधायकों के शपथ ग्रहण के कार्यक्रम के तहत इस मीटिंग को टाल दिया गया है। इस सबंध में जब सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़े सहयोगी दल सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अखिलेश को उन्हें बुलाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा है कि परिवार में झगड़े तो होते रहते हैं।

राजभर ने एक टीवी चैनल से बातचीत में यह भी बताया कि सरकार की ओर से आज विधायकों के शपथ ग्रहण की कार्यक्रम तय करने की वजह से सपा गठबंधन के विधायकों की बैठक टाल दी गई है। राजभर ने शिवपाल की नाराजगी को लेकर कहा कि जहां परिवार में सैकड़ों लोग हों, कोई ना कोई नाराजगी होती रहती है। परिवार में कभी-कभी होता है। परिवार में नाराजगी-खुशी तो होती ही है, कभी खुशी कभी गम।

दोनों से अच्छे संबंधों की दलील देकर जब पूछा गया कि क्या वह पंच बनेंगे तो सुभासपा प्रमुख ने कहा, ”दोनों लोगों से मिलेंगे, बात करेंगे तो बताएंगे क्या दिक्कत है, क्या बीमारी है। उस बीमारी को ठीक करने की कोशिश की जाएगी। इस देश में हर चीज की दवा बन गई है। हम दोनों से मिलकर जानेंगे कि ऐसी बात क्यों हो रही है। ऐसा नहीं होना चाहिए।’

बता दें कि इस मीटिंग में ही समाजवादी पार्टी के सभी जीते हुए 111 विधायकों के द्वारा नेता विरोधी दल का चुनाव किया गया। मैनपूरी के करहल विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नाम पर सभी विधायकों ने मुहर लगाई। पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े अखिलेश यादव विधायक बनने से पहले आजमगढ़ से सांसद थे। उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे कर के प्रदेश में मुख्य विपक्ष की मजबूत भूमिका निभाने के लिए नेता प्रतिपक्ष बनने का फैसला किया है।

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