लखनऊ। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) और इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ( IET) में एकेटीयू के तत्कालीन कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के संरक्षण और अनुमति से करोड़ों रुपये के कंप्यूटर समेत अन्य सामान फर्जी तरीके से खरीदने के आरोप हैं। प्रो. विनय पाठक पर शिकंजा कसते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बीते 10 जनवरी 2022 को प्रमुख सचिव ने प्राविधिक शिक्षा यूपी अमृत अभिजात को पत्र लिखकर इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी कालेज लखनऊ के क्रय ऑफिसर द्वारा की गई करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमतता व अभिलेखों में कूटरचित मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
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तो वहीं दूसरी तरफ एकेटीयू (AKTU) के अधिकारियों और आईईटी ( IET) के साठगांठ के चलते भ्रष्टाचार में नया मोड़ देते हुए भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए भ्रष्टाचारियों को ही समिति का सदस्य बनाकर एक नया खेल खेल दिया है। बता दें कि समिति के सदस्यों में एसपी शुक्ला निदेशक बांदा जिनके खिलाफ लोकायुक्त में भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच लंबित है। इसके अलावा एक और सदस्य कुलसचिव आईटी प्रदीप बाजपेई जिनके खिलाफ यह शिकायत प्राप्त हुई हैं। शिक्षा मंत्रालय ने उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।
इन सब को दरकिनार करते हुए एकेटीयू के अधिकारियों की सांठगांठ से इन निष्पक्ष जांच करने की बजाए इन भ्रष्टाचारियों को ही समिति में रखकर भ्रष्टाचार को दबाने की पूरी कोशिश की जा रही है, जबकि मंत्रालय द्वारा जांच व ऑडिट करा कर पूरी तरह से यह सिद्ध कर दिया है कि किस तरह से मानकों दर किनार करते हुए और अभिलेखों में कूटरचना करते हुए करोड़ो के भुगतान किया गया। मंत्रालय ने भ्रष्टाचार पाया गया है और और कार्रवाई करने के आदेश दिया है, लेकिन एकेटीयू और आईटी के अधिकारियों की मिलीभगत से मंत्रालय के पत्र को भी दरकिनार किया जा रहा है और दोषियों व भ्रष्टाचारियों को बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। इस भ्रष्टाचार में आईटी के कुलसचिव प्रदीप बाजपेई और एकेटीयू के अधिकारियों की पूरी मिलीभगत है, जिनकी सांठगांठ से करोड़ों के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।
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सूत्रों के अनुसार एकेटीयू (AKTU) और आईटी ( IET) की मिलीभगत से अभी निर्माण में भी काफी करोड़ों के घोटाले उजागर होने की आशंका है। बता दें कि यह भी है कि एस पी शुक्ला और प्रदीप बाजपेई की नियुक्ति में प्रो. विनय कुमार पाठक की गई है। इस फर्जी भुगतान के भ्रष्टाचार में प्रो. विनय पाठक भी लिप्त हैं और पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक के लिप्त होने से राजभवन और शासन दोनों ही इस भ्रष्टाचार पर मंत्रालय के पत्र का संज्ञान लेते हुए भ्रष्टाचाररियों पर कार्रवाई होती है कि नहीं ये देखने वाली बात है?
इस जांच कमेटी में दागियों को सदस्य बनाए जाने के बारे में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र से उनके मोबाइल नंबर पर कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके अलावा उन्होंने मैसेज का भी कोई उत्तर देना मुनासिब नहीं समझा।