नई दिल्ली। दुनिया को पहला विश्व टेस्ट चैंपियन देश मिल गया है, लेकिन जो टीम इस खिताबी जीत की प्रबल दावेदार मानी जा रही थी। उस टीम को हार मिली। न्यूजीलैंड ने भारतीय टीम को हराकर आइसीसी विश्व टेस्ट चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया है। खिताबी मैच में विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया को क्यों हार का सामना करना पड़ा, इसके पांच कारण जान लीजिए।
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पहला कारण: ICC विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मैच 18 जून से शुरू होना था। ऐसे में भारत ने 17 जून को ही अपनी प्लेइंग इलेवन की घोषणा कर दी, जिसमें तीन तेज गेंदबाज और 2 स्पिनर शामिल थे। जैसे ही भारत की अंतिम एकादश का ऐलान हुआ, वैसे ही विरोधी स्वर उठने लगे कि कम से कम चार तेज गेंदबाजों को मौका दिया जाना चाहिए था।
दूसरा कारण: भारतीय टीम ने युवा शुभमन गिल को अनुभवी मयंक अग्रवाल की जगह ओपनर के तौर पर तरजीह दी। मयंक भारत की तरफ से एकमात्र बल्लेबाज थे, जिन्होंने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में दो दोहरे शतक जड़े थे। यहां तक कि इंट्रा स्क्वाड मैच में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन शुभमन गिल को रोहित शर्मा का जोड़ीदार बनाया गया।
तीसरा कारण: जिस तरह से न्यूजीलैंड टीम के तेज गेंदबाजों की तेज इन स्विंग और आउट स्विंग हो रही थी। उस तरह की मदद भारतीय तेज गेंदबाजों को विकेट से नहीं मिली।
चौथा कारण: विलियमसन व टेलर जब मैच को पूरी तरह से भारत के हाथों से दूर ले जा रहे थे तो भारत के पास 31वें ओवर में टेलर का विकेट लेने का मौका था, लेकिन वह इसे भुना नहीं सका। बुमराह के इस ओवर की चौथी गेंद पर टेलर बल्ला अड़ा बैठे और गेंद सीधे पहली स्लिप पर खड़े पुजारा के हाथों में पहुंची, लेकिन वह कैच नहीं लपक सके और टेलर को जीवनदान मिल गया। उस समय टेलर ने 26 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे। भारत के पास थोड़ा बहुत मौका वापसी करने का था, क्योंकि न्यूजीलैंड को तब जीत के लिए 55 रन बनाने थे, लेकिन इस कैच ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इसके बाद 44वें ओवर में विलियमसन को भी जीवनदान मिला। शमी के इस ओवर की पांचवीं गेंद को उन्होंने ऊंचा उठा दिया और बुमराह ने प्वाइंट पर उनका कैच गिरा दिया। हालांकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
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पांचवा कारण: साल 2019 के वर्ल्ड कप के बाद जसप्रीत बुमराह को स्ट्रेस फ्रैक्चर हुआ था। इसके बाद उन्होंने साल 2019 के आखिर में वापसी की, लेकिन उसके बाद से ही उनकी गेंदबाजी में वो धार नजर नहीं आई। अगस्त 2019 के बाद से टेस्ट क्रिकेट की 15 पारियों में उन्होंने गेंदबाजी की और सिर्फ 21 विकेट चटकाए हैं।