लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब रिक्त शिक्षक पदों पर नियुक्ति पाने के लिए हजारों अभ्यर्थियों को जिलों की परिक्रमा नहीं लगानी पडे़गी। योगी सरकार इस पर चर्चा कर जिला विद्यालय निरीक्षकों की जगह शिक्षा निदेशक माध्यमिक को यह जिम्मा सौंपना चाह रही है।
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25 फीसदी ज्यादा अभ्यर्थियों को मिलेगा शामिल होने का मौका
उत्तर प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की तरफ से अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक कॉलेजों में प्रवक्ता और प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों के पदों पर चयन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी विद्यालयों में रिक्त पदों के लिए हर जिले के चयनित अभ्यर्थियों की लिस्ट भेजी गई है। कॉलेज में उम्मीदवारों के चयन के लिए पैनल बनाया गया है। इस पैनल को उसी नियम के अनुसार काम करना होगा। बता दें, रिक्तियों की संख्या से 25 प्रतिशत ज्यादा अभ्यर्थी इस पैनल में शामिल होंगे। इस बार पैनल में करीब साढ़े तीन हजार अभ्यर्थियों का नाम है। वेटिंग लिस्ट में आए उम्मीदवारों को तभी नियुक्ति मिलेगी, जब चयनित किए गए कैंडिडेट किसी कारण से जॉइन न कर पाएं। पैनल ऐसे उम्मीदवारों की जगह अधिक मेरिट वालों को मौका देगा।
रिक्रूटमेंट का रोड़ा बन रहा यह प्रमाणपत्र
इस भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया साल 2020 से चल रही थी। इस बीच कई विभागों में अलग-अलग भर्तियां हुईं। कुछ चयनित अभ्यर्थी ज्वॉइन भी कर चुके हैं, लेकिन सीटें अभी भी खाली हैं। वेटिंग लिस्ट रिक्रूटमेंट में सबसे बड़ी बाधा जिलावार का प्रूफ बना है। जिसमें जिला विद्यालय निरीक्षक को लिखकर देना होगा कि संबंधित अभ्यर्थी ने उनके यहां ज्वॉइन नहीं किया है। इस कार्य में संबंधित विद्यालय और जिला विद्यालय निरीक्षक के लगातार काम करने के बाद भी महीनों का वक्त लग जाता है। ऐसा पहली बार नहीं है। इससे पहले भी करीब 1000 से ज्यादा चयनित और प्रतीक्षारत अभ्यर्थी नियुक्ति पाने के लिए भटक रहे हैं।
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चयन बोर्ड ने तीसरी बार शासन को भेजा प्रस्ताव
चयन बोर्ड ने तीसरी बार शासन को अपना प्रस्ताव भेजा है। उन्होंने कहा कि यह जिम्मा जिला विद्यालय निरीक्षक की जगह शिक्षा निदेशक माध्यमिक को सौंपा जाए। इसके लिए नियमावली में संशोधन हो, क्योंकि निदेशक माध्यमिक आसानी से सभी जिलों से रिक्त पदों की सूचना लेकर प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों को कालेज में ज्वॉइन करवा सकते हैं। बोर्ड के सचिव कीर्ति गौतम ने 26 सितंबर 2020, 25 जून 2021 और 27 अगस्त 2021 को इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा था।