लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में लोकतंत्र के चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया के कर्मियों पर हमले बढ़ गए हैं। अभी तक तो अपराधी ही मीडिया कर्मियों को निशाना बनाते थे लेकिन अब आईएएस अफसर भी इस तरह की करतूत करने लगे हैं। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के साथ मिलकर आईएएस सरेराह पत्रकार की पिटाई कर रहे हैं। यही नहीं पत्रकार के मोबाइल फोन भी तोड़ दिया गया। ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान यह पहला मामला नहीं है जब इस तरह की हरकत की गई।
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नामांकन के दौरान भी कई टीवी चैनल और प्रिंट के पत्रकारों को निशाना बनाया गया। इससे पहले प्रतापगढ़ में एक टीवी चैनल के पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की संदिग्ध हालात में मौत हो गयी थी, जिसमें परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया था। हालांकि, इस दौरान प्रशासन ने इस मामले में लीपापोती की। मामला तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
पिछले कुछ महीनों में देखें तो पत्रकारों के साथ कई घटनाएं हुईं हैं लेकिन सरकार सिर्फ उनकी सुरक्षा के दावे कर खामोश बैठ जाती है। पीड़ित पत्रकार को कार्रवाई का आश्वासन देकर लौटा दिया जाता है। प्रदेश में अभी तक कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं, जिसमें पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गयी। हालांकि, योगी सरकार पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कई दावे कर चुकी है लेकिन ये दावे सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रहे गए हैं।
इस कारण प्रदेश में पत्रकारों पर हमले तेजी से बढ़ते गए। वहीं, पत्रकारों का साथ देने का दावा करने वाली विपक्षी पार्टियां सपा, बसपा और कांग्रेस भी सिर्फ सोशल मीडिया पर ही आश्वासन देते है लेकिन पीड़ित पत्रकारों के साथ भी वह कहीं खड़े नहीं दिखाई देते हैं। अगर ऐसी ही स्थिति रही तो आगे सरकारों के चाटुकार पत्रकार ही बचेंगे। ऐसी स्थिति में अगर पत्रकार एक जुट नहीं हुए तो एक दिन सबका यही हाल होगा।