नई दिल्ली। गुजरात के अहमदाबाद स्थित जायडस कैडिला ग्रुप कोरोना वैक्सीन जायकोव-डी को 5 से 12 साल के बच्चों के लिए टेस्ट करने की योजना बना रहा है। जायकोव-डी प्लाजमिड डीएनए वैक्सीन है, जोकि न्यूक्लिएक एसिड वैक्सीन के तहत आती है। हाल ही में जायडस कैडिला ने बालिगों के लिए 800 क्लिनिकल ट्रायल किए हैं, जबकि वैक्सीन का परीक्षण 12 से 18 साल के बच्चों के लिए भी किया गया है।
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कंपनी की तैयारी अपनी वैक्सीन के लिए जून या जुलाई के अंत तक इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी पाने की है। कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर शरविल पटेल ने एक अंग्रेजी हिंदी दैनिक के साथ बातचीत में कहा कि हमारे पास 5 से 12 आयु वर्ग के बच्चों पर वैक्सीन की टेस्टिंग से जुड़ा अच्छा खासा डाटा होगा। अगर सबकुछ सही तरीके से चलता है, तो 12 से 18 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन को मंजूरी मिल जाएगी।
उन्होंने कहा कि वैक्सीन का विकास हमेशा चरणों में होता है, पहले वरिष्ठों के लिए फिर बच्चों के लिए और उसके बाद 5 साल से छोटे बच्चों के लिए। हमारी वैक्सीन बच्चों के लिए ज्यादा लाभप्रद होगी। इसमें कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिलेगा। जैसा कि आम तौर पर दूसरी वैक्सीन में देखने को मिलता है। इस वैक्सीन का दूसरा फायदा ये है कि इसमें इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती है।
हाल ही में जायडस कैडिला ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से कोरोना वायरस के इलाज के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल के ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल के लिए अनुमति मांगी है। कैडिला हेल्थकेयर ने अपनी रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा है कि जायडस को डीसीजीआई से कोरोना वायरस की ZRC-3308 वैक्सीन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए अनुमति का इंतजार है। ये वैक्सीन कोरोना वायरस के दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज का कॉकटेल है। जायडस ने कहा कि कैडिला हेल्थकेयर भारत की एकमात्र कंपनी है, जिसने कोरोना वायरस को मारने वाली कॉकटेल आधारित मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित की है।