उत्तर प्रदेश: सुप्रीम कोर्ट न्यायलय का निर्देशानुसार धारा 166 (ए) में यह प्रावधान है कि कोई भी महिला दुष्कर्म, एसिड फेंकना व मानव व्यापार से संबंधित मामलों की सूचना वह स्वयं या किसी अन्य के माध्यम से पुलिस को देती है तो उस सूचना पर पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है कि वह तुरंत केस दर्ज कर जल्द से जल्द पीड़िता को इंसाफ दिलाए। यदि ऐसा नही होता है तो सम्बंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगा। लेकिन पुलिस माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी ठेंगा दिखा रही है
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महराजगंज की रहने वाली एक किशोरी के साथ कार सवार युवक ने किया दुष्कर्म तो किशोरी कसया थाना प्रभारी को दी प्रार्थना पत्र फिर भी नहीं दर्ज हुआ FIR तो पीड़ित किशोरी पहुंची गोरखपुर मुख्यमंत्री कार्यालय और न्याय की मांग की , कहा मिलेगा न्याय तो मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने देंगे धरना
आपको बता दें कि महराजगंज जिले के सिसवां थाना क्षेत्र के की रहने वाली किशोरी कसया से गोरखपुर जाने के लिए कुशीनगर बस स्टेशन पहुंची और वहां खड़े खड़े साधन का इंतजार कर रही थी इस दौरान कार सवार एक व्यक्ति पहुँचा जो किशोरी को बहला-फुसलाकर किशोरी को अपने कार में बैठा कर छेड़छाड़ किया और जोर जबरदस्ती कर उसके साथ दुष्कर्म किया और दुष्कर्म करने के बाद गोरखपुर लाकर देर रात छोड़ दिया.
जब किशोरी घर पहुचीं तो अपने चाची को पूरी बात बताई
किशोरी की बात सुनकर 13 वर्षीय किशोरी की चाची कसया थाने पहुंची और थाना प्रभारी को प्रार्थना पत्र देकर मुकदमा पंजीकृत करने को कहा इस दौरान थाना प्रभारी द्वारा किशोरी की चाची और किशोरी के साथ-साथ परिवार के अन्य लोगों को प्रताड़ित किया गया और तरह-तरह से उल्टा ही आरोप लगाते हुए , मुकदमा पंजीकृत नहीं किया थक हार कर किशोरी की चाची उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर उनके कार्यालय पहुंची और प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर न्याय नहीं मिलेगा तो हम लोग मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने धरना देंगे
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आप को बता दे कि सिसवा की रहने वाली किशोरी अंजलि की माँ और पिता की बहुत पहले मौत हो गई किशोरी भरण पोषण किशोरी की चाची करती है लेकिन बीते 6 मई को जब किशोरी अंजलि अपने घर सिसवा से कप्तान गंज मामा के पास गई थी मामा के घर से वापस अपने घर सिसवा 6 मई को जा रही थी इस बीच किशोरी के साथ दुष्कर्म की घटना हुई,
लेकिन किशोरी के सर से मा बाप का साया खत्म होने के वावजूद अब पीड़ित किशोरी की कोई सूद लेने वाला नही है, एक तरफ जहाँ सरकारी तंत्र दावा करता है कि कोई घटना या बहन बेटियों के साथ कुछ हो तो पहली प्राथमिकता एफआईआर दर्ज हो लेकिन एफआईआर क्या, यहां तो खुद सरकारी तंत्र में मौजूद लोग पीड़ित की मदद के बजाय खुद पीड़ित को ही धमकी दे रहे हैं, जिससे पीड़िता को दर दर की ठोकर खाने के लिए विवश होना पड़ रहा है