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67th Convocation of Lucknow University : आनंदीबेन पटेल ने कहा-विद्यार्थी अर्जित ज्ञान को सार्थक व सकारात्मक रूप से समाज को वापस करें

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ: प्रदेश की राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय का 67वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह में विद्यार्थियों को कुल 1,06,306 उपाधियां एवं 105 मेधावियों को 196 पदक प्रदान किए गए। सर्वाधिक 13 पदक शैलजा चौरसिया को प्रदान किया गया, जिसमें 10 स्वर्ण पदक शामिल थे। सभी उपाधियों को डिजीलॉकर पर अपलोड किया गया।

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इस अवसर समारोह में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केन्द्र, अहमदाबाद के निदेशक, नीलेश एम देसाई को कुलाधिपति द्वारा मानद उपाधि प्रदान की गई। समारोह में राज्यपाल ने उपस्थित सभी उपाधि एवं पदक प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी तथा सर्वाधिक पदक बेटियों को प्राप्त होने पर कहा कि इससे यह विश्वास पैदा होता है कि भारत एक दिन विश्वगुरू जरूर बनेगा। आज पदक प्राप्तकर्ताओं के अभिभावकों में शिक्षक अभिभावकों की संख्या ज्यादा होने पर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यालय एवं घर में शिक्षक के होने से बच्चे की नींव मजबूत होती है।

इस अवसर पर कुलाधिपति ने लखनऊ विश्वविद्यालय में आए सकारात्मक बदलाव की चर्चा करते हुए कहा कि प्रतिबद्धता, लक्ष्य निर्धारण एवं एक दूसरे के सहयोग से सुन्दर परिणाम की प्राप्ति होती है तथा इससे परिवर्तन लाया जा सकता है। विश्वविद्यालय के द्वारा समर्थ पोर्टल लागू करने, डिजिलॉकर में डिग्री के साथ-साथ अंक तालिका के अपलोड करने, राष्ट्रीय शिंक्षा नीति-2020 को लागू करने, नैक में ‘ए प्लस प्लस‘ ग्रेडिंग हासिल करने एवं एन.आई.आर.एफ. में भी अच्छी रैंकिंग प्राप्त करने की उन्होंने सराहना की।

राज्यपाल  ने दीक्षांत समारोह को विद्यार्थियों के लिए एक विशिष्ट अवसर बताया जब वे शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् व्यवहारिक ज्ञान और वास्तविक जीवन में प्रवेश करते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का यह नैतिक दायित्व है कि अर्जित ज्ञान को सार्थक एवं सकारात्मक रूप से समाज को वापस करें। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण, आपदा सरंक्षण, प्रदूषण की रोकथाम, सतत् विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के समाधान की दिशा में हमे आगे बढ़ना है।

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राज्यपाल ने वर्तमान युग को विज्ञान एवं तकनीक का युग बताते हुए कहा कि शिक्षण व्यवस्था को तकनीक के साथ जोड़कर बदलना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय यह प्रयास करे कि विद्यार्थी क्लास रूम शिक्षण के साथ-साथ डिजिटल रूप से भी जुड़ें, विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को खेलकूद के लिए प्रोत्साहित करे तथा ऐसे खिलाड़ी तैयार करे जो देश-प्रदेश का शीश गर्व से ऊंचा कर सके, विद्यार्थियों के सम्पूर्ण विकास पर बल दे एवं ऐसे विद्यार्थी समुदाय की रचना करें जो न केवल वर्तमान युग बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत का भी वाहक बने।

कुलाधिपति ने अपने सम्बोधन में कहा कि शिक्षण एक महान कार्य है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ज्ञान प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय आंगनबाड़ी केन्द्रों के विकास के लिए सेतु का कार्य करे और बच्चों को प्रेरित करे। उन्होंने कहा कि यही बच्चे कल का भविष्य होंगे ओैर माननीय प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत-2047 की संकल्पना को मूर्त रूप देने वाले आधार होंगे। उन्होंने कहा कि लोगों में सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना होना जरूरी है।

राज्यपाल ने समारोह मेें उपस्थित लोगों का जलवायु परिवर्तन की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए अधिक से अधिक पौधरोपण, जल सरंक्षण और प्रदूषण को कम करने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि भारत इस क्षेत्र में भी विश्व का नेतृत्व करेगा।

इस अवसर पर राज्यपाल ने आज विश्वविद्यालय तथा जिला प्रशासन सीतापुर के सौजन्य से आंगनबाड़ी केन्द्रों को समृद्ध बनाए जाने हेतु 200 आंगनबाड़ी किट प्रदान किए। इन किटों में 100 किट विश्वविद्यालय एवं 100 किट जिला प्रशासन सीतापुर के सहयोग से वितरित किए गए। राज्यपाल की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में प्रदेश भर में आंगनबाड़ी केन्द्रों को समृद्ध बनाने के प्रयास के तहत अबतक 17,226 आंगनबाड़ी किटों का वितरण किया जा चुका है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए 05 गांव के परिषदीय विद्यालयों में चित्रकला, भाषण, कहानी, कथन व खेलकूद प्रतियोगिता में विजेता प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया तथा राजभवन की ओर से प्राथमिक विद्यालय के बच्चों हेतु शिक्षकों को पुस्तकें भी प्रदान की गई। विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गांव के बच्चों के बीच आयोजित प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतिस्पर्धाएं होनी चाहिए, जिससे बच्चों में स्वस्थ, सकारात्मक एवं सहयोगी भावना का विकास होता है।

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इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर आधारित पुस्तिका एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा लिखित 14 पुस्तकों का राज्यपाल द्वारा विमोचन किया गया। समारोह में सीडीओ सीतापुर को राज्यपाल द्वारा स्वास्थ्य किट भी प्रदान किया गया तथा मुख्य अतिथि व मंचासीन अतिथिगणों को राज्यपाल जी ने ‘हमारा राजभवन’ पुस्तक भेंट की।

इस अवसर पर दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि एवं सुपर कम्प्यूटर के जनक पद्मभूषण डॉ. विजय पांडुरंग भातकर ने उपाधि एवं पदक प्राप्तकर्ता छात्र-छात्राओं को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने विद्यार्थियों का उत्साहवर्द्धन किया और कहा कि आने वाली दुनिया आपकी है।
इस अवसर पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री, योगेन्द्र उपाध्याय ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि इस मुकाम की प्राप्ति हेतु अपने माता-पिता एवं गुरूजनों के प्रति कृतज्ञता जाहिर करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत की संकल्पना को विद्यार्थियों को अपनी भूमिका से पूरा करना होगा। उन्होंने कहा कि वही शिक्षा सफल है, जो ईमानदारी और राष्ट्र सेवा का प्रेरित करें।

समारोह में राज्य मंत्री उच्च शिक्षा रजनी तिवारी ने उपाधि/पदक प्राप्त विद्यार्थियों व उनके माता-पिता को बधाई दी एवं दीक्षांत समारोह को अनुष्ठान मात्र नहीं, बल्कि शिक्षा और ज्ञान के प्रति प्रतिबद्धता का परिणाम बताया। उन्होंने विद्यार्थियों से आत्मविश्वास और जुनून के साथ आगे बढ़ने को तथा राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया।

इस अवसर पर समारोह में मानद उपाधि प्राप्तकर्ता एवं इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केन्द्र, अहमदाबाद के निदेशक,नीलेश एम देसाई ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को उपाधि एवं पदक प्राप्त करने पर बधाई देते हुए उन्हें वर्तमान युग के चांद-सितारे की संज्ञा दी। उन्होंने उपाधि/पदक प्राप्त करने में छात्राओं की संख्या ज्यादा होने पर इसे समाजिक परिवर्तन के लिए एक अच्छी बात बताई। दीक्षांत समारोह को विश्व ओजोन दिवस पर आयोजित किए जाने पर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की एवं विद्यार्थियों को दूसरों का भला करने तथा जुनून के साथ जीवन लक्ष्य की प्राप्ति का आह्वान किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय, सामान्य परिषद, कार्य परिषद व विद्या परिषद के सदस्य गण, शिक्षक गण, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां, स्कूली बच्चे आदि उपस्थित रहे।

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