लखनऊ : यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की गई। प्रधानमंत्री भारत को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने के अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। बेसिक शिक्षा परिषद के अध्यापकों की जिम्मेदारी है कि वह अपने-अपने विद्यालयों में इस अभियान का नेतृत्व करें। कोई भी राष्ट्र, सभ्य समाज के बिना सशक्त नहीं हो सकता है। यदि किसी राष्ट्र को सशक्त बनाना है तो उसको समर्थ बनाना पड़ेगा तथा राष्ट्र को समर्थ बनाने के लिए शिक्षा व्यवस्था को संस्कार युक्त बनाना पड़ेगा ताकि व्यक्ति में आत्म अनुशासन की भावना पैदा हो सके।
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मुख्यमंत्री आज गोरखपुर में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा गोरखपुर मण्डल के जनपद गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर एवं महराजगंज के परिषदीय प्राथमिक शिक्षकों हेतु 14,360 टैबलेट वितरण, 64 विकासखण्डों में आईसीटी लैब्स का लोकार्पण तथा 1,086 परिषदीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की स्थापना का शुभारम्भ करने के पश्चात इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शिक्षकों को टैबलेट वितरित किए।
मुख्यमंत्री ने गोरखपुर मण्डल में प्री-प्राइमरी शिक्षा हेतु को-लोेकेटेड आंगनबाड़ी केन्द्रों को आईआईटी गांधीनगर द्वारा विकसित 3,780 वण्डर बाॅक्स, आईसीटी स्मार्ट क्लास प्रमाण पत्र तथा 1,207 दिव्यांग बच्चों को 1,980 उपकरण-ट्राई साइकिल, व्हीलचेयर, क्रच, सीपी चेयर, ब्रेल किट, सुगम्य केन, रोलेटर, हियरिंग ऐड का वितरण किया। उन्होंने शिक्षा प्राप्त करने हेतु सुगमता के लिए नवाचारों को प्रदर्शित करती हुई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस अवसर पर आईआईटी लैब्स तथा स्मार्ट क्लास से संबंधित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बेसिक शिक्षा परिषद विगत 6 वर्षों में सम्पन्न हुए विभिन्न कार्यक्रमों की श्रृंखला में अपने साथ नए अलंकरण जोड़ रहा है। सामूहिक प्रयास से बेसिक शिक्षा परिषद में नित नए परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। अपने आप को समय के अनुरूप ढालने की नई सकारात्मक प्रवृत्ति अभिनंदनीय है। आज यहां लगाई गई प्रदर्शनी से स्पष्ट होता है कि बच्चों को सहजता के साथ उदाहरणों और प्रयोगों के माध्यम से ज्ञान प्रदान करने के साथ भाषा की जानकारी भी उपलब्ध कराई जा सकती है। टैबलेट, शिक्षकों को तकनीकी दृष्टि से सक्षम बनाने के साथ-साथ प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन का कारण बनेगा। शासन और विद्यालयों के मध्य तारतम्यता बढ़ाने के लिए टैबलेट वितरण का कार्य किया गया है।
आईसीटी लैब्स का निर्माण शिक्षकों को समय के अनुरूप आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करेगा। समाज जो सोच रहा है यदि हम उससे दो कदम आगे बढ़कर नहीं सोचेंगे तो पिछड़ जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यक्ति में समाज और राष्ट्र से जुड़े हुए मुद्दों को अपना मुद्दा समझने की प्रवृत्ति पैदा होनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव होना चाहिए। शिक्षा इन समस्त भावों को व्यक्ति में प्रवेश कराने का माध्यम है। जैसी शिक्षा होगी वैसा ही व्यक्ति का चरित्र होगा तथा चरित्र के अनुसार ही समाज को दिशा प्राप्त होगी। यह सभी कार्य योग्य और कर्तव्य निष्ठ शिक्षकों द्वारा ही सम्भव हैं। भगवान श्री राम के मर्यादा पुरुषोत्तम बनने का कारण गुरु वशिष्ठ व गुरु विश्वामित्र ही हैं। गुरु चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त मौर्य की शिक्षा संभव नहीं थी। गुरु संदीपनी के बिना भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा अधूरी थी। अच्छे गुरु के मार्गदर्शन में एक बच्चा कर्मठ और कर्तव्यनिष्ठ युवा होकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देता है। यही शिक्षकों की उपलब्धि होती है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि व्यक्ति अपने कार्यों का मूल्यांकन नहीं करता है, तो वह व्यक्ति समाज के साथ-साथ स्वयं के साथ भी धोखा करता है। इसलिए शिक्षकों को साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, छः माह तथा एक वर्ष में अपना मूल्यांकन करते रहना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति अपने कर्तव्यों का निर्वहन सम्यक रूप से करता है, तो वह समाज और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करता है। एक शिक्षक का आदर्श गुरु चाणक्य, ऋषि वशिष्ठ, ऋषि विश्वामित्र और ऋषि संदीपनी होने चाहिए। शिक्षक इस गुरु परम्परा के वाहक हैं। इस परम्परा के वाहक के रूप में शिक्षकों ने विगत 06 वर्षों में प्रदेश की बेसिक शिक्षा में हुये परिवर्तनों को क्रमिक रूप से आगे बढ़ते हुए देखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में विगत 06 वर्षों में 1 लाख 64 हजार शिक्षकों की भर्ती हुई है। इस दौरान स्कूल चलो अभियान, ऑपरेशन कायाकल्प, निपुण भारत अभियान जैसे अनेक कार्यक्रम चलाए गए हैं। पहले बच्चों को बैग, बुक्स, यूनिफॉर्म आदि प्रदान करने की कर्रवाई स्कूलों के माध्यम से की जाती थी, लेकिन बाद में तकनीक का उपयोग करते हुए डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में धनराशि अंतरित की गई। प्रधानाचार्य व शिक्षक, अभिभावकों के साथ मीटिंग करें ताकि उन्हें बच्चों को साफ सुथरी यूनिफॉर्म पहनाकर स्कूल भेजने के लिए प्रेरित कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विद्यालय ऑपरेशन कायाकल्प से आच्छादित होते हुए दिखाई दे रहे हैं। सभी बच्चों को ऑपरेशन कायाकल्प से जोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए। पुरातन पीढ़ी का विद्यार्थी चाहे वह किसी भी क्षेत्र में कार्य कर रहा हो, वह किसी न किसी रूप में बेसिक शिक्षा परिषद का भाग रहा है। ऑपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत इन विद्यार्थियों का भी सहयोग लिया जाना चाहिए। ग्राम पंचायत को भी इस कार्य से जोड़ना चाहिए। विद्यालय परिसर साफ सुथरा होना चाहिए। विद्यालय परिसर में समुचित वृक्षारोपण कर पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रसार करना चाहिए। विद्यालय को तकनीकी दृष्टि से भी सक्षम बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए।
स्वच्छ भारत मिशन ने प्रदेश के गांवों में स्वच्छता के विषय में नई प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ाया है। इससे बीमारियों में कमी आई है। पूर्व में जनपद गोरखपुर में इस सीजन में इंसेफेलाइटिस की बीमारी चरम पर होती थी। इस बीमारी से हजारों मौतें हो जाती थीं। स्वच्छ भारत मिशन और शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के माध्यम से प्रदेश से इंसेफेलाइटिस का पूरी तरह उन्मूलन किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा की कोरोना कालखंड में बच्चों को अगली क्लास में प्रमोट करना पड़ा। इस दौरान विद्यालय बन्द रहे और बच्चों की पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ा। प्रधानमंत्री की पहल पर शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक के प्रयोग पर बल दिया गया। प्रदेश में 22,207 स्मार्ट क्लासेस को एक जगह से संचालित करने का सामथ्र्य तकनीक की वजह से ही सम्भव है। जो शिक्षक निरन्तर शोध करते हुए शिक्षा के सरलीकरण हेतु नवाचारों पर बल देता है, वही अच्छा शिक्षक है। प्री-प्राइमरी के रूप में आंगनबाड़ी केंद्रों को भी अपने साथ जोड़कर इस कार्यक्रम को मजबूती प्रदान की जानी चाहिए। आंगनबाड़ी केन्द्रों में 03 वर्ष तक के बच्चों को प्री-एजूकेशन दी जाती है। यदि बच्चा प्री-प्राइमरी में ही विद्यालय आएगा और अन्य बच्चों से घुले-मिलेगा तो इसका लाभ उसे प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न प्रकार की योजनाओं से बेसिक शिक्षा परिषद के बच्चों को जोड़ा जाना चाहिए। इनमें खासतौर से केंद्र और राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजनाएं सम्मिलित की जानी चाहिए। बेटियों को ‘मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला’ जैसी योजनाओं से जोड़ा जाना चाहिए। इससे बेटियां स्कूल आएंगी और उन्हें इसका लाभ प्राप्त होगा। बेटी और बेटे में कोई भेदभाव न हो इसके लिए ‘मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना’ के अन्तर्गत एक व्यवस्था बनाई गई है। इसमें बेटियों के जन्म से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई के लिए शासन द्वारा पांच चरणों में 15,000 रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। राज्य सरकार अगले सत्र से इस धनराशि को बढ़ाकर 25,000 रुपये करने जा रही है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि एक शिक्षक को अपने विद्यालय के साथ-साथ सम्बन्धित गांव, न्याय पंचायत, विकासखण्ड और जनपद की सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक स्थिति की पूरी जानकारी होनी चाहिए। यह शुरुआत गांव से की जानी चाहिए। शिक्षकों द्वारा विद्यालय के माध्यम से गांव में परिवारों की संख्या, आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक परिस्थिति के बारे में अध्ययन किया जाना चाहिए। बहुत सारे गांव ऐसे हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, स्वतंत्रता पश्चात के कालखण्ड में जहां का नौजवान देश की सीमाओं की रक्षा करते-करते शहीद हो गए। इन शहीदों के नाम पर गांव में स्मारक बने हैं या नहीं, यह सभी जानकारियां शिक्षकों को होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले जब जनगणना का कार्य करने शिक्षक जाता था, तो वह अभिभावक से संवाद बनाने के साथ-साथ गांव की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का भी पता लगता था। जनपद गोरखपुर का औरंगाबाद गांव दुनिया भर में टेराकोटा के लिए विख्यात है। इस गांव के कारीगरों ने अपने हुनर के माध्यम से गांव को वैश्विक मान्यता दिलाई। जनपद आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी का निर्माण भी किसी एक गांव से ही प्रारम्भ हुआ है। प्रदेश में ऐसे बहुत सारे गांव होंगे। शिक्षक जब गांव के एक-एक घर में जाकर संवाद बनाएंगे तो यह संवाद आपके कार्यकाल को यादगार बनाएगा। किसी भी सरकारी सेवा का वास्तविक सुख तभी है जब लोग आपके कार्यकाल को याद करें। यही आपकी उपलब्धि है। एक शिक्षक का कार्य समय व्यतीत करना नहीं बल्कि राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करना है। शिक्षक को अपने राष्ट्र और समाज के प्रति जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी हम सभी के प्रेरणा स्रोत हैं। वह सुशासन के लिए विश्व भर में प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के नेतृत्व और मार्गदर्शन में प्रदेश नित नई ऊंचाइयां छू रहा है। नए भारत के नए उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग की अहम भूमिका है। यह प्रदेश के भविष्य की नींव को मजबूत करने का कार्य करता है। मुख्यमंत्री प्रदेश के लिए नीति निर्माण करते समय शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देते हैं। प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक गरीब परिवार के बच्चे को बेहतर शिक्षा व्यवस्था से जोड़ना है।