लखनऊ। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति (Aarakshan Bachao Sangharsh Samiti) ,यूपी संजोजक मंडल ने लोकसभा में पदोन्नतियों में आरक्षण का 117 वे लंबित बिल को सभी राजनैतिक पार्टियों के घोषणा पत्र में शामिल कराने। इसके साथ ही यूपी में आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा-3(7) को बहाल कराने और उनकी पार्टी का स्टैंड साफ करने की मांग की है। इसके लिए रविवार को संयोजक मंडल द्वारा बहुजन समाज पार्टी(Bahujan samaj party), समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) के वरिष्ठ नेताओ से बात की और पार्टी का स्टैंड साफ करने व पदोन्नतियों में आरक्षण के बिल (Reservation Bill) को घोषणा-पत्र में शामिल कराने की मांग उठाई है।
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राजनीतिक दल का स्टैंड साफ होने के बाद प्रदेश के 8 लाख आरक्षण समर्थक अपनी अंतिम रणनीति का करेंगे खुलासा
साथ ही कहा कि संघर्ष समिति संयोजक मंडल सभी पार्टियों के घोषणा पत्र जारी होने या उनका स्टैंड साफ होने के बाद प्रदेश के 8 लाख आरक्षण समर्थक अपनी अंतिम रणनीति का खुलासा करेंगे । केन्द्र की मोदी सरकार दलितों के संवैधानिक अधिकार के लिये पदोन्नति में आरक्षण बिल अविलम्ब कराये पास।
पदोन्नति में आरक्षण बिल पर चर्चा करते हुए संघर्ष समिति ने केन्द्र व यूपी की सरकार पर करारा हमला बोला
पदोन्नति में आरक्षण बिल पर चर्चा करते हुए संघर्ष समिति ने केन्द्र व यूपी की सरकार पर करारा हमला बोला है। कहा विधान सभा चुनाव जब नजदीक है। तब मुख्य विभागों में दलित उच्चाधिकारियों का प्रतिनिधित्वा चिंता का विषय है । यूपी में पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था समाप्त होने के बाद किसी भी विभाग में उच्च पदों पर दलित वर्ग का प्रतिनिधित्व लगभग नगण्य सा हो गया है। पब्लिक सेक्टर से जुड़े हुए बिजली, कृषि, सिंचाई व लोक निर्माण विभाग जहां पर पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था के समय कुछ पदों पर प्रतिनिधित्व दिखता था। अब वह नगण्य हो गया है। संघर्ष समिति द्वारा जारी आंकड़े स्थिति का स्वतः खुलासा कर देंगे।
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विभाग का नाम पदनाम कुल स्वीकृत पद अनु0जाति/जनजाति का प्रतिनिधित्व
बिजली निदेशक/ प्रबन्ध निदेशक 43 शून्य
बिजली मुख्य अभियन्ता स्तर-1/2 116 1
कृषि निदेशक 05 शून्य
कृषि अपर निदेशक 11 शून्य
लोक निर्माण प्रमुख अभियन्ता/मुख्य अभि0 41 शून्य
सिंचाई प्रमुख अभियन्ता /मुख्य अभि0 स्तर-1 16 शून्य
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा, केबी राम, डॉ. राम शब्द जैसवारा, आरपी केन, अनिल कुमार, अजय कुमार, श्याम लाल, अजय कुमार, अन्जनी कुमार,, बिन्द्रा प्रसाद, प्रेमचन्द्र, अजय चौधरी, ने कहा कि यह तो उदाहरण मात्र है कमोवेश सभी विभागों में यही स्थिति है। लोकसभा में लंबित बिल को न पास करने के लिए पहले कांग्रेस जिम्मेदार थी। इसके बाद मोदी सरकार द्वारा यदि लगभग 8 साल पहले पदोन्नति में लम्बित बिल पास कर दिया गया होता। तो आज यह स्थिति न होती। योगी सरकार भले ही दलित अधिकारियों को उच्च पदों पर होने की बात कह रही है, लेकिन आंकड़े जिस स्थिति का खुलासा कर रहे हैं। वह काफी दयनीय है। पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था समाप्त होने के कारण आज दलित कार्मिक पूरी तरह हाशिये पर चले गये हैं और उनका प्रतिनिधित्व शून्य हो गया है।