काबुल: अफगानिस्तान (Afghanistan) में काबुल (Kabul) सहित देश के अधिकतर हिस्सों पर तालिबान (Taliban) का कब्जा हो चुका है। कब्जे के बाद तालिबान (Taliban) सरकार बनाने की तैयारी में जुटा है। राष्ट्रपति अशरफ गनी बेशक देश छोड़कर भाग गए हों, मगर उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Vice President Amarulla Saleh) अभी भी तालिबान से लड़ाई लड़ रहे हैं। बुधवार को सोशल मीडिया पर प्रसारित तस्वीरों के अनुसार, तालिबान ने 1990 के दशक में अफगानिस्तान के गृहयुद्ध के दौरान उनके खिलाफ लड़ने वाले शिया मिलिशिया नेता (Shia Militia Leader) की प्रतिमा को हटा दिया है। 25 साल पहले तालिबान ने ही अब्दुल अली मजारी (Abdul Ali Mazari) की हत्या कर दी थी।
पढ़ें :- चोर से कहे चोरी करो और जनता से कहे जागते रहो...मोहन भागवत के बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य का तीखा तंज
So Taliban have blown up slain #Hazara leader Abdul Ali Mazari’s statue in Bamiyan. Last time they executed him, blew up the giant statues of Buddha and all historical and archeological sites.
Too much of ‘general amnesty’. pic.twitter.com/iC4hUZFqnG
— Saleem Javed (@mSaleemJaved) August 17, 2021
पढ़ें :- American Airlines flights : अमेरिकन एयरलाइंस ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर रोकी उड़ानों का परिचालन फिर से शुरू किया
मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार सलीम जावेद ने ट्विटर (Twitter) पर तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया है कि तालिबान ने बामियान में बनी अब्दुल अली मजारी की मूर्ति को हटा दिया है।
अब्दुल अली मजारी तालिबान के विरोधी माने जाते थे। 1946 में जन्मे अब्दुल मजारी सोवियत सेना के खिलाफ भी लड़ चुके थे। अब्दुल मजारी हिज्ब-ए-वहादत (Hizb-e-Wahdat Party) पार्टी के पार्टी के नेता थे। वो हजारा समुदाय (Hazara community) से आते थे।