नई दिल्ली। अमेरिकी सैनिकों(American Soldiers) के अफगानिस्तान (Afghanistan) छोड़ने के फैसले के बाद आतंकी संगठन तालिबान (Terrorist Organization Taliban) का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। बता दें कि अफगान के ज्यादातर हिस्सों पर तालिबान ने कब्जा जमा लिया है। सूत्र बता हैं कि काबुल से महज 50 किलोमीटर दूर है। तालिबान से चल रही जंग के बीच अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Afghan President Ashraf Ghani) अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। तालिबान की कई मांगों में से एक मांग अशरफ गनी (Ashraf Ghani) को पद से हटाए जाने की भी रही है।
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अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) का वर्चस्व लगातार बढ़ता जा रहा है। तालिबान के लड़ाके कई बड़े शहरों को अपने कब्जे में ले चुके हैं। इसके अलावा, सरकार के कई अधिकारियों को भी तालिबान ने अपने कब्जे में लिया है। अफगान के कंधार, गजनी, हेरात आदि जैसे बड़े शहरों पर अब पूरी तरह से तालिबान की पकड़ हो गई है। कम से कम 12 प्रांत अब तालिबान के कब्जे में हो गए हैं।
अमेरिका (America) अफगानिस्तान (Afghanistan) में दो दशकों तक तालिबान से लड़ने के बाद अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है। अफगान से बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिक अपने देश वापस लौट चुके हैं, जबकि सितंबर में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
अब अफगानिस्तान उग्रवादी संगठन तालिबान (Afghanistan militant organization Taliban) के हाथों में चला गया है। ऐसा कहना अब गलत नहीं होगा। इसके बाद अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन जल्दी ही कायम होने की आशंकाएं बढ़ गई हैं। अफगानिस्तान के सांसद सईद करीबुल्लाहह सादात ने कहा कि अब तालिबान ने 100 फीसदी नियंत्रण जमा लिया है। अब युद्ध जैसी बात भी यहां नहीं रह गई है। अफगानिस्तान के ज्यादातर अधिकारियों ने भागकर काबुल में शरण ली है।
तालिबान ने अफगानिस्तान के अब तक 18 प्रांतों पर कब्जा जमा लिया है। एक अफगान अधिकारी ने बताया कि सशस्त्र समूह (Armed Group) ने पश्चिम प्रांत घोर पर भी कब्जा जमा लिया है। इसके अलावा फिरोज कोह सिटी भी अब तालिबान के हाथों में है। इस बीच नाटो संगठन में अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन ने अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने पर दुनिया भर में आतंकवाद के बढ़ने की आशंका जताई है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वॉलेस ने कहा कि जिस तरह से अफगानिस्तान फेल हो रहा है, उससे अलकायदा जैसे आतंकी संगठन मजबूत होंगे और इससे पश्चिमी दुनिया (Western world) के आगे संकट खड़ा होगा।
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ब्रिटिश मंत्री ने कहा कि मुझे चिंता है कि इस तरह के असफल राष्ट्रों में ही आतंकी अपना ठिकाना बनाते हैं। अलकायदा के वापस आने की आशंका है। इस बीच ऑस्ट्रेलिया ने अपने सभी डिप्लोमैट्स को वापस बुलाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा वह उन अफगानियों को भी अपने यहां शरण देगा, जिन्होंने बीते 20 साल में नाटो सेना का समर्थन किया था। बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को अमेरिका ने भी शरण दी है। ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने काबुल में अपने दूतावास को मई में ही बंद कर दिया था और जून में अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया था।