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कुलदीप सेंगर को जमानत मिलने के बाद पीड़िता की मां ने कहा हम जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

By Satish Singh 
Updated Date

Kuldeep Singh Sengar, a legislator of Uttar Pradesh state from India's ruling Bharatiya Janata Party (BJP), reacts as he leaves a court after he was arrested on Friday in connection with the rape of a teenager, in Lucknow, India, April 14, 2018. REUTERS/Pawan Kumar - RC1BB1353FA0

नई दिल्ली। उन्नाव रेप केस (Unnao rape case) में पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर (Former MLA Kuldeep Sengar) को ज़मानत मिलने के बाद, पीड़िता की मां ने गुस्सा व्यक्त किया है। उन्होने ज़मानत रद्द करने की मांग करते हुए इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की कसम खाई है। उन्होंने अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और अपने पति की हत्या और दूसरे रिश्तेदारों को मिल रही धमकियों का ज़िक्र किया।

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पीड़िता की मां ने कहा कि उनकी ज़मानत रद्द होनी चाहिए। तभी हमें इंसाफ़ मिलेगा। जज ने हमें कोई समय नहीं दिया। उन्होंने जो कहना था कहा और फिर अपने चैंबर में लौट गए। मेरे पति की हत्या कर दी गई। मेरे दामाद को खतरा है। मेरा देवर जेल में है। हम सुरक्षित नहीं हैं और हम सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाएंगे। एक दिन पहले, दिल्ली हाई कोर्ट (delhi high court) ने उन्नाव रेप केस में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को ज़मानत (सज़ा पर रोक) दे दी थी। सेंगर को दिल्ली की सीबीआई कोर्ट (CBI Court) ने एक नाबालिग के रेप केस में दोषी ठहराया था और वह उम्रकैद की सज़ा काट रहे थे। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर (Justices Subramonium Prasad and Harish Vaidyanathan Shankar) की डिवीज़न बेंच ने उनकी अपील लंबित रहने तक सज़ा पर रोक लगा दी है। उन्हें 15 लाख रुपये का ज़मानत बॉन्ड भरने की शर्त पर राहत दी गई है। हालांकि, वह हिरासत में ही रहेंगे क्योंकि उन्हें अभी तक पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में ज़मानत नहीं मिली है। दिल्ली हाई कोर्ट में अपील और सज़ा पर रोक लगाने की अर्ज़ी लंबित है। उस मामले में उन्हें दस साल की सज़ा सुनाई गई थी। ज़मानत देते समय, हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सेंगर उस पांच किलोमीटर के इलाके में नहीं जाएंगे जहां पीड़िता दिल्ली में रहती है। यह भी निर्देश दिया गया है कि सेंगर दिल्ली में ही रहेंगे। वह पीड़िता के परिवार के सदस्यों से संपर्क नहीं करेंगे। सीनियर एडवोकेट एन हरिहरन, एडवोकेट एसपी एम त्रिपाठी के साथ कुलदीप सिंह सेंगर की तरफ से पेश हुए। यह बताया गया कि कुलदीप सिंह सेंगर सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। यह भी बताया गया कि पीड़ितों की उम्र विवाद में है, क्योंकि अलग-अलग दस्तावेज़ों में यह अलग-अलग है। इस स्थिति में, उनकी उम्र पर मेडिकल रिपोर्ट पर विचार किया जाना चाहिए।

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