वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2020 पर पूरी दुनिया की नज़र थी, डॉनल्ड ट्रंप की लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी। उम्मीद थी कि ट्रम्प एक बार फिर चुनाव जीतेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। राष्ट्रपति का चुनाव ट्रम्प हार गया। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इस हार के बाद वो बौखला गये थे। इस कदर बौखला गए थे कि उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप टॉप सैन्य अधिकारियों को एक लिखित आदेश जारी किया। जिसमें उन्होंने वोटिंग मशीनों को जब्त करने का आदेश दे दिया। यह आदेश व्हाइट हाउस की ओर से लिखित में जारी किया गया था।
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अमेरिकी National Archives द्वारा जारी किए गए इस Documents में उन उपायों के बारे में बताया गया है जिसके जरिए Trump Voters के इच्छा के विरुद्ध राष्ट्रपति बने रहना चाहते थे। Trump’s documents को जारी करने से रोकने की कोशिश की।
वोटिंग मशीन (voting machine) जब्त करने के बाद कई तरह के विवाद सामने आते ही, उनसे निपटने के लिए वकील की तैनाती की जानी थी। हालांकि, इस आदेश में किसी के भी हस्ताक्षर नहीं हैं। यह पत्र भी उन्हीं 750 दस्तावेजों का एक हिस्सा है, जिन्हें कैपिटल हिल हिंसा की जांच के लिए बनाई गई समिति को सौंपा गया है।
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अमेरिकी नेशनल आर्काइव्ज और रिकॉर्ड (US National Archives and Records) प्रशासन ने प्रतिनिधि सभा की एक समिति को राष्ट्रपति से संबंधित 700 से अधिक पन्नों के दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की इन Documents को जारी करने से रोकने की कोशिश को देश की शीर्ष अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बाद समिति तक ये कागजात पहुंचाए गए हैं।
तीन पेज के ड्राफ्ट को तुरंत प्रभावी बताया गया है। कहा गया है कि रक्षा सचिव सभी मशीन, उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक (machine, equipment, electronic) रूप से जमा किए गई जानकारी और retention के लिए जरूरी सामग्री रिकॉर्ड को जब्त, एकत्र, बनाए रखेगा और विश्लेषण करेगा। डॉक्यूमेंट में हैक की गई वोटिंग मशीनों के बारे में कई कांस्पीरेसी थ्योरी के बारे में बताया गया है। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सहयोगियों द्वारा व्यापक स्तर पर धोखाधड़ी की गई और झूठ फैलाया गया। हालंकि उनके सरकार के एक्सपर्ट्स ने इस बात कि पुष्टि की थी वोटिंग सुरक्षित है। ट्रंप द्वारा नियुक्त अटॉर्नी जनरल बिल बर्र द्वारा भी दावों को खारिज कर दिया गया था।