Lok Sabha Elections 2024: समाजवादी पार्टी ने कन्नौज लोकसभा सीट (Kannauj Lok Sabha Seat)से सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया था। मीडिया में कयास लगाया जा रहा है कि सपा कन्नौज सीट से भी उम्मीदवार बदल सकती है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव खुद यहां से चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं इन अटकलों को लेकर अब खुद अखिलेश यादव ने भी चुप्पी तोड़ दी है।
पढ़ें :- धांधली से चुनाव जीतनेवाले भाजपाई आज आंख मिलाकर नहीं देख पा रहे यही इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी जीत: अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने इन अटकलों पर कहा कि जब नॉमिनेशन होगा तब पता चलेगा, सवाल कन्नौज की ऐतिहासिक जीत का है। जनता ने मन बना लिया है कि INDIA गठबंधन भविष्य बनकर आ रहा है और बीजेपी इस चुनाव में इतिहास बन जाएगी। अखिलेश यादव को कन्नौज की सीट पर यादव परिवार के लाड़ले और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दमाद तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाए जाने पर बीजेपी का तंज भी झेलना पडा।
इस सीट से चुनाव नहीं लड़ने को लेकर बीजेपी के नेता मोहसिन रजा ने उन पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि सपा मुखिया ने हार को स्वीकार करते हुए कन्नौज में अपने परिवार के किसी सदस्य को टिकट दे दिया है। उन्होंने कहा कि खुद हार के डर के सताने से सपा मुखिया अखिलेश यादव चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन अब ऐसा कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव कन्नौज की सीट से कल नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि जिस तरीके से पहले चरण से जो भाषण बदला है, और जो अखबारों में उनके स्टेटमेंट छपे हैं उससे पता चलने लगा है कि पहले चरण के रूझान आने लगे हैं। ये जो एनडीए एनडीए चिल्ला रहे थे, पीडीए परिवार ने इनके होश उड़ा दिए हैं। उन्होंने कहा कि ये लंबी लंबी बात करने वालों ने हर वर्ग के लोगों को धोखा दिया, इनकी हर बात झूठी निकली, हर वादा झूठा निकला और जो पैसा निकला था, वो इन लोगों ने उद्योगपतियों का माफ किया है।
बीजेपी के लोगों ने जो चंदा लिया है उसे चंदा कहना ही गलत होगा, वो वसूली की है। ये सरकार संविधान बदलना चाहती है, संविधान है तो हमारा मान और सम्मान रहेगा। संविधान हमारी संजीवनी है।
पढ़ें :- असत्य का समय हो सकता है लेकिन युग नहीं...उपचुनाव के नतीजों के बाद बोले अखिलेश यादव
अखिलेश यादव का राजनीतिक सफर
अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 में हुआ था। सपा चीफ उत्तर प्रदेश के सबसे युवा सीएम रह चुके हैं। इससे पहले वह लगातार तीन बार सांसद रह चुके हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने साल 2000 में कन्नौज सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा। इस चुनाव में अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी के दिग्गज नेता अकबर अहमद डंपी को हराया था। इसके बाद वह 2012 में उत्तर प्रदेश के सीएम बने। फिर कन्नौज सीट से उनकी पत्नी डिंपल डिंपल यादव जीत गईं, लेकिन 2019 में उनको बीजेपी के सुब्रत पाठक ने हरा दिया।
कन्नौज सीट पर रहा यादव परिवार का दबदबा
कन्नौज सीट पर मुलायम यादव परिवार का लंबे समय तक दबदबा रहा है। इस सीट पर मुलायम यादव, अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव सांसद रह चुकी हैं। यह सीट साल 1999 से लेकर 2014 तक यादव परिवार के कब्जे में रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को हरा दिया था और इस तरह बीजेपी ने सपा से यह सीट छीन ली थी।