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फतेहपुर मस्जिद गिराने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक, यूपी सरकार से मांगा जवाब,अगली सुनवाई 23 मई को

By संतोष सिंह 
Updated Date

प्रयागराज। यूपी के फतेहपुर जिले में मदीना मस्जिद (Madina Mosque) के ध्वस्तीकरण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है। अब अगली सुनवाई 23 मई को होगी। यह आदेश हाई कोर्ट एकल पीठ के जज मनीष कुमार निगम ने सुन्नी मस्जिद कमेटी (Sunni Mosque Committee) के सदर हैदर अली (Sadar Haider Ali) की दायर याचिका पर दी। शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार से दो सप्ताह में जवाब भी मांगा है। अब सरकार और प्रशासन को इस संबंध में कोर्ट अपना जवाब दाखिल करना होगा। इसके आधार पर अगली सुनवाई हो सकती है।

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मस्जिद कमेटी की याचिका

फतेहपुर जिला (Fatehpur District) के मलवां थाना क्षेत्र के कोटिया रोड पर मदीना मस्जिद (Madina Mosque)  बनी है। वर्ष 1976 में मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड ने तीन बिसवा जमीन आवंटित की थी। इसी भूमि पर मस्जिद का निर्माण कराया गया है। आरोप है कि तहसील प्रशासन ने तालाबी नंबर मस्जिद के निर्माण को अवैध पता कर बिना कानूनी प्रक्रिया के गिराने का आदेश दे दिया।मस्जिद कमेटी (Mosque Committee) के सदर हैदर अली (Sadar Haider Ali)  ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में याचिका दायर की।

प्रक्रिया को ताक पर रखकर कार्रवाई

याचिका में आरोप लगाया गया कि तहसील प्रशासन ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 67 (Section 67 of Uttar Pradesh Revenue Code) के तहत जिस प्रक्रिया पर अमल किया, वह पूर्ण रूप से मनमानी थी। इतना ही नही 26 दिन के अंदर ही पूरी कार्रवाई को निपटा दिया गया। नियम के अनुसार, याचिकाकर्ता को साक्ष्य के साथ गवाह और सुनवाई के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए। मस्जिद कमिटी यह भी कहना है कि उन्होंने जिला और तहसील प्रशासन में अपनी आपत्तियां भी दर्ज कराईं। बावजूद इसके विचार किए बिना ही मनमाना रवैया अपना कर ध्वस्तीकरण का आदेश जारी कर दिया गया।

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वक्फ बोर्ड की जमीन पर मस्जिद

कमेटी के अनुसार साल 1976 में वक्फ बोर्ड ने ग्राम सभा मलवां में मस्जिद निर्माण के लिए तीन बिसवा भूमि आवंटित की थी। कमेटी का दावा है कि उसी जमीन पर मदीना मस्जिद (Madina Mosque)  का निर्माण किया गया है। वहां वर्षों से नियमित रूप से नमाज अदा की जाती है, लेकिन वर्तमान में राजस्व अभिलेखों में इस भूमि को तालाबी नंबर दर्ज होना बताकर प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी। याचिका में यह भी कहा गया कि जिस जमीन पर मस्जिद है, उसके आस-पास की जमीनों में 6-7 अन्य लोग भी वर्षों से कब्जा किए हुए हैं।

प्रशासन ने 2021 में उन लोगों को नोटिस जारी कर कब्जामुक्त करने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक उस आदेश पर कोई अमल नहीं हुआ। दूसरी तरफ, मस्जिद को हटाने की प्रक्रिया को तेजी से पूरी कर ली गई। कमिटी ने इसे पक्षपातपूर्ण रवैया बताते हुए कहा कि धार्मिक स्थल को लक्ष्य बनाकर कार्रवाई की जा रही है।

डीएम ने दिया आदेश

तहसील प्रसाशन ने जब तालाब की जमीन बताते हुए मस्जिद को गिराने का आदेश जारी किया, तब मस्जिद कमेटी (Mosque Committee)  ने उसके खिलाफ डीएम कोर्ट फतेहपुर में अपील की थी। जिलाधिकारी ने भी तहसीलदार के आदेश को बहाल रखते हुए अपील को खारिज कर दिया। इस पर मस्जिद कमेटी (Mosque Committee)  हाई कोर्ट पहुंचकर ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिका दायर की थी।

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फिलहाल, मस्जिद कमेटी (Mosque Committee)  को हाई कोर्ट से राहत मिली है। वहीं मामले में दो सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही, मामले में अगली सुनवाई 23 मई को करेगी। मस्जिद कमेटी (Mosque Committee)  का दावा है कि सुनवाई के क्रम में हाई कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया पर तल्ख टिप्पणी भी की।

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