लखनऊ: देश में कोरोना के चलते कई जगह ऑक्सीज़न और अंबुलेंस की कमी की समस्या देखी गई। संकट के समय निजी एम्बुलेंस के ड्राइवर द्वारा मरीज और तीमारदारों से मनमानी वसूली करने की शिकायतें के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर परिवहन विभाग ने निजी एम्बुलेंस के किराये में एकरूपता लाने के लिए एम्बुलेंस के प्रकार के आधार पर किराया निर्धारित किया है।
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आपको बता दें, प्रदेश सरकार ने कोविड-19 महामारी के समय उचित दर पर एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराने और एम्बुलेंस के किराये की दरों में एकरूपता के दृष्टिगत निजी अस्पतालों और एजेंसियों की एम्बुलेंस के किराये की दर को तय कर दिया है। यह लोगों के लिए किफायती सेवा साबित होगा।
रद्द हो सकता है लाइसेंस
अगर एम्बुलेंस चालक द्वारा तय किराये से ज्यादा किराया लिया जाता है तो एम्बुलेंस का पंजीकरण और चालक का ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त कर दिया जायेगा. इस संबंध में प्रमुख सचिव, परिवहन श्री राजेश कुमार सिंह ने आदेश जारी किया है.
चार प्रकार की एम्बुलेंस सेवाओं के लिए किराया तय
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक सरकार ने चार प्रकार की एम्बुलेंस सेवाओं के लिए किराया तय किया है।
- टाइप-A या मेडिकल फर्स्ट रेस्पॉन्डर एम्बुलेंस पहले 10 किलोमीटर के लिए 500 रुपये और हर अतिरिक्त किलोमीटर के लिए 10 रुपये चार्ज करेगी।
- टाइप-B या रोगी परिवहन एम्बुलेंस पहले 10 किमी के लिए 1,000 रुपये और उसके बाद प्रत्येक किमी के लिए 20 रुपये चार्ज करेगी।
- टाइप-C या बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस।
- टाइप-D या एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस पहले 10 किमी के लिए क्रमश 1,500 और 2,000 रुपये और प्रत्येक अतिरिक्त किलोमीटर के लिए 25 रुपये और 30 रुपये चार्ज करेंगी।
ये मिलेंगी सुविधाएं
पेशेंट ट्रांसपोर्ट एम्बुलेंस, बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस और एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस के निर्धारित दरों में आक्सीजन, एम्बुलेंस उपकरण, पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क, फेस शील्ड, सेनेटाइजर, चालक, अपेक्षित ईएमटी तथा डाक्टर सम्मलित हैं.
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प्रमुख सचिव परिवहन, राजेश कुमार सिंह के मुताबिक एम्बुलेंस को मोटर व्हीकल अधिनियम में परमिट और कर नियमों के दायरे से बाहर रखा गया है, क्योंकि एम्बुलेंस का उपयोग व्यवसायिक न होकर अनन्य रूप से मरीज या घायल के परिवहन के लिए किया जाता है, जो एक प्रकार से सामाजिक सेवा है.