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Apple के सह-संस्थापक अरबपति स्टीव जॉब्स की पत्नी महाकुंभ में संन्यासियों की तरह 17 दिन करेंगी कल्पवास

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स (Apple co-founder Steve Jobs) का हिंदू और बौद्ध धर्म को लेकर खासा लगाव था। अब उनकी विधवा लॉरेन पॉवल जॉब्स (Lauren Powell Jobs) उसी राह चल पड़ी है। वो हिंदू धर्म की परंपराओं से खींची महाकुंभ (Maha Kumbh) में चली आ रही हैं। वह करीब 17 दिन निरंजनी अखाड़े (Niranjani Akhara) के साथ रहेंगी। उन्हीं की तरह कल्पवास में संन्यासियों जैसा जीवन गुजारेंगी। वह यहां 13 जनवरी को आएंगी और 29 जनवरी तक रहेंगी। इस महाकुंभ (Maha Kumbh) में आने वाली वह वीवीआईपी अरबपति हैं।

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वह एमर्सन कलेक्टिव की संस्थापक और अध्यक्ष हैं तो एप्पल की मालिकों में एक। वह महाकुंभ (Maha Kumbh) में स्नान करेंगी तो महाकुंभ (Maha Kumbh) बिल्कुल उसी तरह कल्पवास करेंगी, जैसा नियम है। जिस निरंजनी अखाड़े के साथ वह रुकेंगे, उसे सबसे ज्यादा पढ़े लिखे लोगों का अखाड़ा कहा जाता है।

कल्पवास हिंदू परंपरा में एक प्राचीन प्रथा है, जिसे कल्पवासी के नाम से जाने जाने वाले भक्त पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक के महीने में मनाते हैं। इस अवधि के दौरान कल्पवासी प्रतिदिन गंगा में स्नान करते हैं। कुंभ मेले के दौरान विभिन्न ऋषियों और संतों के शिविरों में जाकर प्रवचन सुनते हैं। भजन और कीर्तन में भाग लेते हैं।

कल्पवास में संन्यासियों की तरह रहेंगी

कल्पवास के दौरान लोग संन्यासियों की तरह ही सरल और सादगीवाली जीवनशैली अपनाते हैं, आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं। एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स (Apple co-founder Steve Jobs)  की विधवा लॉरेन पॉवेल जॉब्स (Lauren Powell Jobs) को आध्यात्मिक अभ्यासों में संलग्न देखा गया है जो हिंदू धर्म से उनका जुड़ाव दिखाते हैं। उनका कुंभ में इतने दिनों के लिए आना ही बताता है कि वह हिंदू धर्म के प्रति आकर्षित हैं।

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क्या ये पति की तरह हिंदू धर्म से जुड़ाव की ओर कदम है?

हालांकि लॉरेन पॉवेल जॉब्स (Lauren Powell Jobs) सीधे हिंदू धर्म से उसी तरह नहीं जुड़ी नहीं हैं जिस तरह स्टीव जॉब्स बौद्ध धर्म से जुड़े थे, हालांकि उनकी शादी बौद्ध तौर तरीकों से एक ज़ेन भिक्षु ने कराई थी। लेकिन लगता है कि पति की तरह वह भी अब हिंदू धर्म और उसकी आध्यात्मिक परंपराओं के साथ जुड़ रही हैं।

निरंजनी अखाड़े के साथ क्यों रहेंगी?

वह यहां निरंजनी अखाड़े (Niranjani Akhara) के साथ रहेंगी। निरंजनी अखाड़ा (Niranjani Akhara)  कुंभ मेले में प्रमुख अखाड़ों (आध्यात्मिक आदेशों) में एक है, जो अपने समृद्ध इतिहास और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।

दुनिया की असरदार महिलाओं में

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वह अरबपति व्यवसायी और परोपकारी हैं जो स्टीव जॉब्स ट्रस्ट का प्रबंधन करती हैं। साथ ही कई और कंपनियों से जुड़ी हुई हैं। 61 साल की लॉरेन डेमोक्रेटिक पार्टी (Democratic Party) के राजनेताओं की एक प्रमुख दानकर्ता हैं। लॉरेन को टाइम्स मैगज़ीन ने कई बार दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया है।वह कई महत्वपूर्ण संस्थानों और संगठनों के बोर्ड में सदस्य के रूप में शामिल हैं, जिनमें काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी भी शामिल हैं।

एमबीए तक की पढ़ाई

पॉवेल जॉब्स ( Powell Jobs) का पालन-पोषण वेस्ट मिलफोर्ड, न्यू जर्सी में हुआ। उन्होंने 1985 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय (University of Pennsylvania) के स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज (School of Arts and Sciences) से राजनीति विज्ञान में बीए और पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय (University of Pennsylvania) के व्हार्टन स्कूल से अर्थशास्त्र में बीएस की डिग्री हासिल की। फिर स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस (Stanford Graduate School of Business) से एमबीए भी किया।

कई कंपनियां बनाईं

पॉवेल जॉब्स ( Powell Jobs) ने टेरावेरा की सह-स्थापना की, जो एक प्राकृतिक खाद्य कंपनी है, जो अपने उत्पाद पूरे उत्तरी कैलिफोर्निया में खुदरा विक्रेताओं को बेचती है। कई और खास भी किए। 13 साल पहले उनके पति स्टीव जॉब्स की मृत्यु हुई, तब से पति के कामकाज को देख रही हैं। जुलाई 2020 तक लॉरेन पॉवेल जॉब्स और उनके परिवार को फोर्ब्स की दुनिया के अरबपतियों की सालाना सूची में 59वें स्थान पर रखा गया था। फोर्ब्स 400 में 30वें स्थान पर, वह दुनिया में तकनीक उद्योग की सबसे धनी महिला भी हैं। वह स्कूलों को दान देती हैं।

पॉवेल जॉब्स के पास है बेशुमार संपत्ति

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पॉवेल जॉब्स ( Powell Jobs) कैलिफोर्निया के पालो ऑल्टो में रहती हैं। उनके पास बेशुमार संपत्ति है। उनके और स्टीव जॉब्स के तीन बच्चे थे। पति के निधन के बाद वह अकेली हैं और कारोबारी दुनिया से लेकर कल्याणकारी कामों में जुटी रहती हैं। लॉरेन को साहित्य और कला में गहरी रुचि है। वे अक्सर कला प्रदर्शनियों और साहित्यिक आयोजनों में भाग लेती हैं और इस क्षेत्र में भी योगदान देती हैं।

आध्यात्मिक पक्ष को एक्सप्लोर करने के लिए वह आ रही हैं प्रयागराज कुंभ

हालांकि ऐसा लगता है कि उनका एक आध्यात्मिक पक्ष है, जिसे एक्सप्लोर करने के लिए वह प्रयागराज कुंभ में आ रही हैं। जाहिर सी बात है कि लोगों की नजर निश्चित रूप से उन पर होगी कि वह 17 दिनों तक कल्पवास में अमेरिका से उलट कैसे कड़ा जीवन गुजारेंगी।

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