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मोदी सरकार की छवि न खराब करे ऑस्ट्रेलिया, डिप्टी हाई कमिश्नर पीएस कार्थिगेयान ने कही ये बड़ी बात

By आराधना शर्मा 
Updated Date

नई दिल्ली: देश भर में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जारी है। कोविड के दूसरी लहर के बीच जिसके विरुद्ध वैक्सीन को अब तक का सबसे बड़ा हथियार कहा जा रहा है। देश में कोविड के विरुद्ध जंग और तेज होने वाली है। वहीं अगर कोरोना आंकड़ों पर नजर डाला जाये तो 24 घंटे में देश में कोरोना के 3 लाख 23 हजार 144 नए केस दर्ज किए गए हैं। वहीं, इसी अवधि में 2771 लोगों की मौत भी कोरोना से हो गई है। इसी के साथ देश में कोरोना से मरने वालों की तादाद अब बढ़कर 1 लाख 97 हजार 894 पहुंच गई है।

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इसी बीच बीते दिन अमेरिका ने भी भारत की खराब स्थिति को देखते हुए मदद का हाथ बढ़ाया था। देश के खाराब हालातों को देखते हुए कई लोग केंद्र सरकार की आलोचना कर रहें हैं। दरअसल, आस्ट्रेलिया के अखबार ने कोरोना पर भारत की स्थिति को वैश्विक पटल पर रखा तो भारतीय उच्चायोग ने एक खत के जरिए संपादक को ही नसीहत दे डाली। उन्हें कहा गया कि ऐसे ‘निराधार’ लेख लिखने से आगे बचें। बकौल, हाईकमीशन भारत सरकार कोरोना पर बहुत अच्छे से कदम उठा रही है। इसका असर भी दिख रहा है।

दरअसल, आस्ट्रेलिया के अखबार ने लिखा था कि भारत कैसे कोरोना के भंवर में आ फंसा। लेख के मुताबिक, दंभ, खोखले राष्ट्रवाद और नौकरशाही की असफलता की वजह से यह स्थिति भारत को देखनी पड़ रही है। हाई कमीशन के नोट में कहा गया है कि लेख में बेवजह पीएम के चुनावी कैंपेन के साथ कुंभ को निशाना बनाया गया। इस पर भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर पीएस कार्थिगेयान के दस्तखत हैं।

लेख छपने के बाद केनबरा में भारतीय उच्चायोग ने उसी तर्ज पर अखबार पर दबाव बनाने की कोशिश की जैसा आपातकाल में इंदिरा गांधी की सरकार करती थी। उस दौरान ग्लोबल मीडिया में आने वाली खबरों को तत्कालीन सरकार कुछ ऐसे ही अंदाज में काउंटर करती थी। भारतीय अधिकारियों ने लेख को निराधार, गलत करार देते हुए कहा कि इसके जरिए भारत के उस प्रयास को कमतर आंकने की कोशिश की गई है जो कोरोना से निपटने के लिए सरकार ने किया था। हाई कमीशन ने उन कदमों का भी ब्योरा पत्र में दिया जो कोरोना को लेकर भारत सरकार ने हाल के वर्षों में उठाए हैं।

हाई कमीशन ने अपने नोट को आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी पोस्ट किया। कॉलमिस्ट वीर संघवी ने इस पर कहा कि उन्हें लगता है कि हमें अपने राजनयिकों को उस स्थिति में नहीं डालना चाहिए जहां वो अपने राजनेताओं के लिए दलीलें देते दिखें। उनका कहना था कि ऐसा इससे पहले इमरजेंसी के समय में कई बार होता देखा गया था।

 

 

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